खुद का हक पाया, दूसरों को भी दिलाया

आईएएस प्रोबेशनर ने शूलिनी मंदिर में महिलाओं के हवन पर लगी पाबंदी हटाई

 सोलन-एक महिला आईएएस प्रोबेशनर का सोलन छोड़ने से पहले लिया गया स्टेप दूसरी महिलाओं को समानता का अधिकार दिला गया। कार्यकारी तहसीलदार सोलन के पद पर तैनात आईएएस प्रोबेशनर रितिका जिंदल को हवन में आहुति डालने से मना करने पर जो महिला वर्ग के लिए लड़ाई लड़ी, उससे न केवल उन्हें हवन में बैठने का मौका मिला, बल्कि अन्य महिलाओं के लिए रास्ते खोल गया।

उनके साथ मंदिर की एक सेवादार महिला ने भी हवन में आहुतियां डाली। प्रोबेशनर रीतिका अब नालागढ़ व रामशहर के तहसीलदार का पद संभालने के लिए रविवार को सोलन से रवाना हो गईं। गौर रहे कि शनिवार को अष्टमी के मौके पर मां शूलिनी मंदिर में पूजन व हवनादि का कार्यक्रम था। बतौर कार्यकारी तहसीलदार रीतिका जिंदल के पास मंदिर के इंचार्ज का कार्यभार भी था। सुबह से ही तैयारियों को जायजा ले रहीं प्रोबेशनर मंदिर के पुजारियों से हवन में बैठने का मन जताया। पुजारियों ने महिलाओं को हवन में बैठने की मंजूरी नहीं होने का तर्क दिया। आईएएस प्रोबेशनर रीतिका पुजारियों की इस बात से खफा हो गईं और बतौर महिला अपने व अधिकारों के लिए उनसे तर्क-वितर्क करने लगीं। वह महिलाओं के लिए समाज में समान अधिकार का हवाला देते हुए अपनी बात पर अड़ी रहीं। उन्होंने कहा कि मां शूलिनी भी नारी के रूप में ही मंदिर में विराजमान हैं और आज समाज में महिलाओं के लिए समान अधिकार की बात की जाती है। अष्टमी के दिन तो कन्याओं का पूजन किया जाता है। ऐसे में महिलाओं को हवन में बैठने से मना कैसे किया जा सकता है। तर्क-वितर्क के इस दौर में महिला आईएएस अधिकारी जीत गईं।

रूढ़ीवादी सोच बदलने पर जोर

रितिका जिंदल ने बताया कि जब पुजारियों ने उन्हें हवन में बैठने से इनकार किया, तो वह काफी स्तब्ध रह गईं। उन्होंने कहा कि वह एक अधिकारी बाद में और महिला पहले है। ऐसे में उन्होंने इसका विरोध किया और रूढ़ीवादी सोच को बदलने के लिए कहा।