मन की शांति

इनसान धन-दौलत से भौतिकतावाद की वस्तुएं खरीद सकता है, जो कि इनसान को कुछ पल का सुख दे सकती हैं, लेकिन इनसान की जिंदगी में एक समय ऐसा भी आता है कि वह मन की शांति चाहता है। वह धन-दौलत से मन की शांति नहीं खरीद सकता। मन की शांति मानवता की सेवा से ही मिल सकती है।

इतिहास में स्वामी विवेकानंद जी का एक प्रेरक प्रसंग है। एक बार स्वामी विवेकानंद जी के पास एक साधु आया जो कि सब कुछ त्याग चुका था, लेकिन फिर भी उसे शांति नहीं थी। इस पर स्वामी जी ने कहा कि शांति के लिए सेवा धर्म ही सर्वोत्तम राह है। भूखों को अन्न, प्यासे को पानी, गरीब बच्चों को शिक्षा और रोगियों की तन, मन एवं धन से सेवा करो। सेवा द्वारा मनुष्य का अंतःकरण शांत होता है। ऐसा करने से आपको शांति प्राप्त होगी।