Navratri 2020 : नवरात्रि का 7वां दिन: क्या है मां कालरात्रि की कथा

किसी ने कहा कि मां दुर्गा की उपासना से सारे संकट हल हो जाएंगे? बताते चलें कि मां दुर्गा स्वयं शक्ति पुंज  हैं। हम, आप, ये धरती, ये यूनिवर्स किसी एनर्जी के दम पर तो चल रहा है। वैज्ञानिक इसका पता लगा रहे हैं कि ये एनर्जी सोर्स है कहां, किसके पास है। सनातन धर्म में हम विश्वास करते हैं कि मां पार्वती ने इतनी तपस्या, इतने कठोर एक्सपेरिमेंट किए कि स्वयं इतनी सक्षम बनीं कि अथाह एनर्जी उनके पास आ गई। सनातन धर्मी जो आराधना करते हैं वो इसी शक्ति के आह्वान के लिए करते हैं. ये आह्वान मस्तिष्क तरंगों, मंत्रों और विशेष तरह की पद्धति से होता है। अगर सारी पद्धतियां और नियमों को फॉलो किया जाए तो ब्रहांड में घूम रही अथाह एनर्जी का सूक्ष्म हिस्सा साधक के पास आ जाता है। उसके सोचने और फैसला लेने का तरीका बदल जाता है, वो इतना जाग्रत  हो जाता है कि वो जिस दिशा में बढ़ना चाहता है उस दिशा में पॉजिटिव औरा बनने लगता है. इसी से व्यक्ति (साधक) स्वयं बड़ी से बड़ी समस्याओं का हल निकालने में सक्षम हो जाता है. पर शर्त ये है कि नियमों और पद्धति का पालन कड़ाई से होना चाहिए।

मां कालरात्रि का कथा

एक बहुत बड़ा दानव था रक्तबीज। उसने देवों और जनमानस को परेशान कर रखा था. उसकी विशेषता ये थी कि जब उसके खून की बूंद (रक्त) धरती पर गिरती थी तो उससे उसका हूबहू वैसा ही नया रुप बन जाता था। फिर सभी भगवान शिव के पास गए, शिव को‌ पता था कि देवी पार्वती ही उसे खत्म कर सकती हैं। शिव ने देवी से अनुरोध किया। इसके बाद मां ने स्वयं शक्ति संधान किया। मां पार्वती का चेहरा एक दम भयानक डरावना सा दिखने लगा। फिर जब वो एक हाथ से रक्तबीज को मार रहीं थीं तभी दूसरे हाथ में एक मिट्टी के पात्र खप्पर से झेल लेतीं और रक्त को जमीन पर गिरने नहीं देतीं। इस तरह रक्तबीज को मारने‌ वाला माता पार्वती का ये रूप कालरात्रि कहलाया।