सहकारी बैंकों के कर्मियों की भी हो वरिष्ठता सूची, हाई कोर्ट ने राज्य को-ऑपरेटिव सोसायटीज के रजिस्ट्रार को दिए आदेश

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने सोमवार को एचपी स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक के कर्मचारियों की वरिष्ठता और पदोन्नति से जुड़े विवाद का निपटारा करते हुए राज्य को-ऑपरेटिव सोसायटीज के रजिस्ट्रार को आदेश दिए कि वह 31 दिसंबर तक बैंक के कर्मियों की सेवा शर्तों में न्यायोचित व उचित प्रक्रिया का प्रावधान बनाए। कोर्ट ने रजिस्ट्रार को ग्रेड-4 के सभी पदोन्नत कर्मियों की वरिष्ठता को फिर से तैयार करने का निर्देश भी दिया। प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य सहकारी बैंकों के कर्मचारियों की सेवाओं से जुड़े मामलों को हाई कोर्ट में रिट याचिकाओं के माध्यम से चुनौती देने की योग्यता के मुद्दे को लेकर स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि न्यायालयों को कृत्रिम बुद्धिमत्ता मशीन की तरह व्यवहार नहीं करना चाहिए, बल्कि न्यायोन्मुखी दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।

 न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर ने सहकारी बैंकों के कर्मचारियों की सेवाओं से जुड़े मामलों में रिट याचिकाओं को योग्य बताते हुए कानून की यह व्यवस्था स्पष्ट की। कोर्ट ने महत्त्वपूर्ण व्यवस्था देते हुए कहा कि भले ही कोई संस्था राज्य या राज्य के अंगों की परिभाषा में न आती हो, तब भी तथ्यों और परिस्थितियों को दिखाते हुए ऐसी संस्थाएं रिट याचिकाओं के माध्यम से हाई कोर्ट के क्षेत्राधिकार के तहत आती हैं। याचिकाओं का निपटारा करते हुए कोर्ट ने कहा कि अदालतों का गठन ठोस एवं सारभूत न्याय प्रदान करने के लिए किया गया है। न्याय प्रदान करने वाली संस्था होने के नाते अदालतों को न्याय प्रदान करने का दृष्टिकोण रखना चाहिए, न कि मामलों को कुछ ज्यादा ही तकनीकी होकर दोषपूर्ण या आधी अधूरी प्लीडिंग को आधार बनाकर खारिज कर देना चाहिए। जहां तक हो सके, अदालतों को मामले की तह तक जाते हुए प्रार्थी की व्यथा को समझना चाहिए और उसका निवारण करने की कोशिश करनी चाहिए।