स्नोव्हाइट और सात बौने

21 मार्च 2020 के अंक में आपने पढ़ा कि स्नोव्हाइट ने कहा कि वह घर पर रहेगी और ढंग से खाना बनाकर दोपहर को बौनों को उनके काम के स्थान पर ले जाकर देगी। बौनों को भी यह सुझाव पसंद आया। अब इससे आगे पढ़ें: उसके बाद वह शाम तक पशु-पक्षियों के साथ काम के स्थान के आसपास खेलती रहती। फिर वे सब साथ लौट आते। दूसरी ओर स्नोव्हाइट की सौतेली माता रानी अपने जादुई दर्पण से इतनी चिढ़ गई थी कि उसने उससे बोलना ही छोड़ दिया था। फिर एक दिन उसने सोचा कि उसकी प्रतिद्वंद्वी स्नोव्हाइट तो मर ही चुकी है, इसलिए दर्पण से वह सदा वाला प्रश्न पूछ कर देखने में कोई हर्ज नहीं है। उसने अपना जादुई दर्पण निकाला और एक बार फिर वही प्रश्न दोहराया…

-गतांक से आगे…

अब यह उनका रोज का कार्यक्रम बन गया। वह सुबह घर पर रहती और खाना बनाकर दोपहर को बौनों के पास ले जाती।

उसके बाद वह शाम तक पशु-पक्षियों के साथ काम के स्थान के आसपास खेलती रहती। फिर वे सब साथ लौट आते। दूसरी ओर स्नोव्हाइट की सौतेली माता रानी अपने जादुई दर्पण से इतनी चिढ़ गई थी कि उसने उससे बोलना ही छोड़ दिया था।

फिर एक दिन उसने सोचा कि उसकी प्रतिद्वंद्वी स्नोव्हाइट तो मर ही चुकी है, इसलिए दर्पण से वह सदा वाला प्रश्न पूछ कर देखने में कोई हर्ज नहीं है। उसने अपना जादुई दर्पण निकाला और एक बार फिर वही प्रश्न दोहराया- ‘दर्पण, दर्पण, बोलो संसार की सबसे सुंदर स्त्री कौन?’

जादुई दर्पण, जो बहुत दिनों से उपेक्षित चुपचाप पड़ा था, चिढ़कर बोला- ‘स्नोव्हाइट है संसार की सबसे सुंदर स्त्री। सौंदर्य की देवी। लाजवाब, बेमिसाल। और जो कुकर्म तुमने किया है, उसके कारण तुम बन गई हो संसार की सबसे कुरूप स्त्री। जरा अपना चेहरा तो देख, तब पता लगेगा।’

रानी ने अपना प्रतिबिंब ध्यान से देखा। पलभर में उसका रूप बदल गया था। चेहरे पर झुर्रियां पड़ गई थीं। बाल सफेद हो गए थे और मुंह से दांत गायब हो चुके थे।

रानी स्वयं अपने चेहरे से डर कर चीख उठी। वह क्रोधित होकर बोली- ‘तुम यह कैसे कह सकते हो कि स्नोव्हाइट संसार की सबसे सुंदर स्त्री है? वह तो अब इस दुनिया में ही नहीं है। मैंने उसे मरवा दिया है।’

‘तुम भारी गफलत में हो। वह तो जीवित है। वह सात बौनों के साथ सुरक्षित जंगल में उनके घर में रह रही है।’ दर्पण ने उसे चिढ़ाते हुए रहस्य खोला।

‘तुमने मेरे साथ यह क्या दुष्टता की है? मुझे एक घिनौनी शक्ल वाली स्त्री बना दिया।’ रानी ने अपने पोपले मुंह में मसूढ़ों को चक्की की तरह चलाते हुए कहा।

दर्पण ने कहा- ‘मैंने तो कुछ भी नहीं किया। तुम्हारे अपने मन का घिनौनापन तुम्हारे चेहरे पर फूट कर बाहर निकल आया है।’ इस बात पर रानी इतनी क्रोधित हुई कि उसने दर्पण को अपने हाथों से उठाकर जोर से अपने शयनकक्ष के फर्श पर दे पटका। जादुई दर्पण टूट कर चकनाचूर हो गया और उसके साथ ही उसकी जादुई शक्ति भी नष्ट हो गई।