भारत में डायबिटीज के बढ़ते कदम; डा. विवेक सभरवाल बोले, शुगर रोगियों की बड़ी संख्या 40 से 59 वर्ष के बीच

डायबेटोलॉजिस्ट डा. विवेक सभरवाल बोले, शुगर रोगियों की बड़ी संख्या 40 से 59 वर्ष के बीच

आईसीएमआर के अनुसार भारत डायबिटीज के एक केंद्र के रूप में उभरा है। पंजाब में शुगर रोगियों की अधिकतम संख्या है और ट्राइसिटी सबसे ऊपर है। शनिवार को एक वर्चुअल स्वास्थ्य सत्र को संबोधित करते हुए, एमकेयर सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, जीरकपुर के इंटरनल मेडिसिन स्पेशलिस्ट व डायबेटोलॉजिस्ट  डा. विवेक सभरवाल ने कहा कि डायबिटीज के जोखिम को कम करने के लिए समय पर सावधानियां आवश्यक हैं। डा. विवेक ने आगे बताया कि डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है, जो शरीर की इंसुलिन का उत्पादन या उपयोग करने की क्षमता को प्रभावित करती है। इंसुलिन एक प्रकार का हार्मोन होता है, जो भोजन को उर्जा में बदलता है। इंसुलिन इस ऊर्जा को कोशिकाओं तक पहुंचाने में सहायक होता है। कृत्रिम इंसुलिन प्राकृतिक इंसुलिन की संरचना में समान है, लेकिन जब इसे इंजेक्ट किया जाता है तो इसे अब्ज़ॉर्ब होने में अधिक समय लगता है। हालांकि इंसुलिन मधुमेह का इलाज नहीं करता है, फिर भी यह लाखों लोगों को बचाता है।

इंसुलिन थेरेपी शुरू करने के लिए देखभाल की योजना आवश्यक है। दीर्घकालिक इंसुलिन भी वजन में उल्लेखनीय वृद्धि का कारण बन सकता हैए जो बदले में इंसुलिन की मांग को बढ़ा सकता है। इसके अलावाए यह सॉल्ट रिटेंशन को भी बढ़ाता है इस प्रकार उच्च रक्तचाप से हृदय संबंधी जोखिम बढ़ जाते हैं। भारत में मधुमेह का वर्तमान परिदृश्य आने वाले दशक में और खराब होने की संभावना है। टाइप दो मधुमेह स्वास्थ्य और जीवनशैली पर निर्भर करता हैए लेकिन ज्यादातर 45 साल से अधिक उम्र में मौजूद होता है। उन्होंने कहा कि मधुमेह वाले लोगों की सबसे बड़ी संख्या 40 से 59 वर्ष के बीच है। इंसुलिन निर्भरता के बारे में बोलते हुएए डा. विवेक ने कहा कि कुछ व्यक्तियों में यह संभव है। एक बार जीवनशैली में बदलाव किए जाते हैं और ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित किया जाता है, तो लोग एक बार रोजाना कई इंसुलिन इंजेक्शन के बजाय मौखिक दवा ले सकते हैं।