दरकार एक और बालाकोट की

जम्मू-कश्मीर एक बड़े आतंकी हमले से बच गया। खुफिया लीड कारगर साबित हुई और नगरोटा में 4 आतंकियों को ढेर कर दिया गया। चारों आतंकी पाकिस्तान के मूल निवासी थे और जिला विकास परिषद तथा अन्य स्थानीय निकायों के चुनाव में खूनी दखल के मंसूबों के साथ घाटी की तरफ  जा रहे थे। राज्य पुलिस, सीआरपीएफ  और सेना की स्थानीय इकाई ने साझा ऑपरेशन और मुठभेड़ तब की, जब भोर की बेला में अधिकतर लोग नींद में होते हैं। आतंकी चावल के एक ट्रक में छिपकर साजिश को अंजाम देना चाहते थे, लेकिन नगरोटा नाके पर आकर धर दबोचे गए। आतंकवाद आज भी कश्मीर की नियति है। हररोज सीमापार से आतंकी घुसपैठ करते हैं। हमलों की साजिशें भी हमारे घर तक पहुंचती हैं, लेकिन यह दीगर है कि आतंकवाद विरोधी रणनीति में कुछ बदलाव के बाद साजिशें लगातार नाकाम हो रही हैं। अधिकृत सूत्रों का खुलासा है कि अक्तूबर, 2019 की तुलना में घुसपैठ करीब 38 फीसदी कम हुई है। हालांकि इस साल आतंकियों ने 77 घुसपैठ की हैं, लेकिन उनमें 17 आतंकी मारे जा चुके हैं और 24 आतंकियों को अंतरराष्ट्रीय नियंत्रण रेखा के पार पाकिस्तान में वापस धकेला जा चुका है। फिर भी 36 आतंकी घुसपैठ में कामयाब रहे हैं। लगातार आतंकी हमले उन्हीं के नतीजे हैं।

 दरअसल सवाल यह भी किया जा सकता है कि आतंकी अलग-अलग कई नाकों को पार करके अपने साजिशी गंतव्य तक पहुंच कैसे जाते हैं? सुकूं है कि नगरोटा में ही बड़ी आतंकी साजिश को नेस्तनाबूद कर दिया गया। अलबत्ता न जाने नुकसान कितना व्यापक और घातक हो सकता था! आतंकियों से 11 ए.के. वर्ग की राइफलें, 3 पिस्टल, 29 हैंड ग्रेनेड, 6 यूबीजीएल ग्रेनेड, 7.5 किलोग्राम आरडीएक्स, इसके अलावा 20 किग्रा विस्फोटक, गोला-बारूद, कंबल, दवाएं, मेवे और चॉकलेट आदि बरामद किए गए। राज्य पुलिस के आईजी मुकेश सिंह के मुताबिक, कई सालों के बाद इतनी मात्रा में खेप बरामद की गई है। हरेक आतंकी के पास 3 बड़े हथियार और एक छोटा हथियार था। उन्होंने चावल के बोरों में रेत भरकर ट्रक में ही बंकर बना लिया था। वे लंबी लड़ाई की तैयारी और मानसिकता के साथ आए थे। बहरहाल ढेर किए गए चारों आतंकी  जैश-ए-मुहम्मद के थे। बीते दिनों दिल्ली में भी जैश के दो आतंकी पकड़े गए थे। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) दोनों आतंकी गुटों के बीच संभावित लिंक की जांच भी कर रही है। आतंक का सिलसिला जारी है, लेकिन नगरोटा मुठभेड़ के बाद भारत के सेना प्रमुख जनरल नरवणे ने बेहद कड़ा संदेश दिया है कि अब एलओसी पार कर जो भी आतंकी हमारे देश में घुसपैठ करेगा, वह जिंदा वापस नहीं जाएगा। बहरहाल आतंकियों ने हमलों और साजिशों के तरीके बदले हैं। यदि इस साल अभी तक करीब 190 आतंकी मारे जा चुके हैं, तो 90 मुठभेड़ें भी हुई हैं, जिनमें हमारे 50 जांबाज सैनिक और जवान ‘शहीद’ हुए हैं। हम नगरोटा की नाकाम साजिश का विश्लेषण कर रहे थे कि उसी दौरान पीटीआई के सौजन्य से खबर फ्लैश हुई कि भारत ने पीओके में आतंकी अड्डों और लॉन्च पैड पर एक और लक्षित हवाई हमला किया है।

चूंकि एयर स्ट्राइक बिल्कुल टारगेट पर की गई थी, लिहाजा लॉन्च पैड और आतंकी ठिकानों के ‘मलबा’ होने की भी खबर मिली। बताया गया कि पाकिस्तान के 8-10 फौजी हताहत हुए हैं, जबकि 15-20 जख्मी हुए हैं। हमला बालाकोट की तर्ज पर ही लग रहा था, क्योंकि बालाकोट भी पीओके में ही है, लेकिन देर रात में सेना ने किसी भी तरह के ऑपरेशन या हवाई हमले का खंडन कर दिया। हम सेना के निर्णय अथवा रणनीति का सम्मान करते हैं, क्योंकि खबर भी सेना के ही सूत्रों से मिली थी। लेकिन अब हमारा आग्रह है कि लगातार  आतंकी साजिशों और हमलों के मद्देनजर एक और बालाकोट दोहराया जाए। सेना में काम कर चुके पूर्व जनरलों का भी यही आकलन है कि अब पाकिस्तान के खिलाफ  सीधा हमला किया जाना चाहिए। भारत के पास पाकिस्तान फौज के ठिकानों, शस्त्रागार, ईंधन डिपो, मिसाइल आदि की तमाम सूचनाएं और जानकारियां हैं। पाकिस्तान बिना मार के मानने वाला नहीं है। उसे चीन भी मुफ्त में हथियार और गोला-बारूद मुहैया करवा रहा है, ताकि भारत को अस्थिर किया जा सके। यह लड़ाई दो मोर्चों की है, लिहाजा वह भूमिका भी जरूरी है, जो इजरायल जैसा देश निभाने में एक मिनट की देरी नहीं करता और निशाना लगा देता है।