हिमाचली दालों की देश-विदेश में होंगी ब्रांडिंग, अध्ययन में जुटे पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक

कुल्थी-करसोग माश-राजमाह की होगी जीआई टैगिंग, अध्ययन में जुटे पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक

हिमाचल प्रदेश के विभिन्न जिलों में कुल्थी, माश, राजमाह, लाल धान, लहसुन व अन्य पुरानी फ सलों का पंजीकरण किया जाएगा। इस दिशा में कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से ऐसे क्षेत्रों का अध्ययन करने में जुटे हुए हैं। यह जानकारी करसोग विधानसभा क्षेत्र के विधायक हीरा लाल ठाकुर ने दी। वह प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केंद्र सुंदरनगर द्वारा करसोग विकास खंड के पांगना क्षेत्र के अंतर्गत छंडयार गांव में पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम पर जागरूकता शिविर में बोल रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन हिमालयन डिवेलपमेंट सोसायटी के सहयोग से किया गया। इस कार्यक्रम में लगभग तीन सौ किसानों ने भाग लिया। बतौर मुख्यातिथि उपस्थित हुए।

इस दिशा में कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति के प्रयास हैं कि जल्द ही सूबे में कुल्थी, करसोग माश व अन्य फसलों को जीआई टैगिंग के अंतर्गत लाया जाएगा, जिससे कि इस क्षेत्र के इन उत्पादों की ब्रांडिंग की जा सके और देश-विदेश में इन उत्पादों की पहचान बन सके व किसानों को भी इसका उचित लाभ प्राप्त हो सके। चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के निदेशक प्रसार शिक्षा डा. वाईपी ठाकुर का कहना है कि कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के अधीन प्रदेश के आठ जिलों में कृषि विज्ञान केंद्र कार्य कर रहे हैं, जो किसानों को नवीनतम कृषि संबंधी जानकारी प्रदान करने में निरंतर प्रयासरत हैं। उन्होंने आग्रह किया कि वे खेती से अधिक लाभ अर्जित करने के लिए कृषि विज्ञान केंद्रों में कार्यरत वैज्ञानिकों के संपर्क में रहें।

…ताकि खुश रहें किसान

कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कुलपति प्रो. हरींद्र कुमार चौधरी का संकल्प है कि प्रदेश का हर किसान खुशहाल व आत्मनिर्भर बने। यह संकल्प पूरा करने के लिए उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्रों में कार्यरत वैज्ञानिकों को दूरदराज के क्षेत्रों में पहुंचकर किसानों को कृषि की आधुनिक तकनीकों को पहुंचाने का निर्देश दिए। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वे अपनी पुरानी किस्मों का पंजीकरण करवाएं। इसके अतिरिक्त देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए वैज्ञानिकों को निरंतर प्रयास करने का आह्वान किया।