तिब्बत में छिपा है तंत्र ज्ञान

अगर वह नित्यकर्म के लिए यहां आया था तो सारे कपड़े उतारने की क्या आवश्यकता थी? यह उसकी समझ में नहीं आ रहा था। आखिर नरबहादुर को सारे कपड़े उतारने की क्या जरूरत पड़ गई थी? नरबहादुर की लाश उठाकर लाई गई। घर में हाहाकार मच गया। सारा गांव इस घटना पर स्तब्ध था। नरबहादुर की असामयिक मौत पर सबका कलेजा फटा जा रहा था…

-गतांक से आगे…

गांव की पंचायत का प्रधान आया। उसने सब देखा। सर्पदंश से ही नरबहादुर की मृत्यु हुई थी, लेकिन कपड़े उतार-उतारकर करीने से रखे थे। कपड़े रखने का ढंग बतला रहा था कि कपड़े उसने स्वेच्छा से उतारे हैं। अगर वह नित्यकर्म के लिए यहां आया था तो सारे कपड़े उतारने की क्या आवश्यकता थी? यह उसकी समझ में नहीं आ रहा था। आखिर नरबहादुर को सारे कपड़े उतारने की क्या जरूरत पड़ गई थी? नरबहादुर की लाश उठाकर लाई गई। घर में हाहाकार मच गया। सारा गांव इस घटना पर स्तब्ध था। नरबहादुर की असामयिक मौत पर सबका कलेजा फटा जा रहा था। सब उसके गुणों की तारीफ कर रहे थे। पुजारीजी के परिवार पर वज्रपात हो गया था। मां तो पथरा गई। रह-रहकर बेहोश हो जाया करती थी। बहुत भारी मन से तमाम लोगों ने कंधा देकर नरबहादुर का अंतिम संस्कार कर दिया। बड़े-बूढ़ों में चर्चा होने लगी। बहुत वर्षों के बाद गांव में सर्पदंश की यह दुःखद घटना हुई थी। नरबहादुर के शरीर की दशा देखकर लोगों को इस बात का विश्वास हो गया कि सांप बहुत जहरीला था। उसका एकदम गोरा शरीर विष के प्रभाव से काला पड़ गया था।

 गांव के कुछ उत्साही नौजवानों ने लाठियां, खुखरी, लोहे की छड़ें लेकर बांसवारी का चप्पा-चप्पा छान डाला। आखिर वह सांप गया कहां? कहीं कुछ न दिखाई पड़ा। पंच प्रधान ने कृपाचरण से पूछा— ‘‘नरबहादुर तेरे सामने बांसवारी की तरफ गया था?’’ ‘‘हां प्रधानजी।’’ ‘‘क्यों गया था?’’ पंच प्रधान ने डांटते हुए पूछा। कृपाचरण डरते-डरते बोला—‘‘एक जवान लड़की बताऊं…इतनी सुंदर कि उसके चहरे पर नजर न ठहरती थी, काली साड़ी पहले लहराती हुई निकली। नरबहादुर को देखकर मुस्कराई। नरबहादुर उसके पीछे-पीछे चला गया।’’ ‘‘अच्छा।’’ ग्राम प्रधान चौंक गया। नरबहादुर ऐसा लड़का तो नहीं था, पर यह सोचकर आगे चुप रह गया कि जवानी का आलम था। शायद बहक गया हो। दिल तो दिल ही होता है। ‘‘उस लड़की का तू पहचानता है?’’ प्रधान ने अपनी घनी दाढ़ी पर हाथ फेरते हुए पूछा।

(तिब्बत को तंत्र ज्ञान के लिए एक अनुकूल स्थान माना जाता है। जो लोग तंत्र में विश्वास रखते हैं तथा इस क्षेत्र में कुछ अनुसंधान करना चाहते हैं, वे तिब्बत की यात्रा बार-बार करते रहते हैं। हमारी इस सीरीज का लक्ष्य भी यही है कि पाठकों को वह सब कुछ बताया जाए, जो तिब्बत को तंत्र साधना के अनुकूल बनाता है। हम आने वाले दिनों में इस विषय पर पाठकों को रोचक जानकारियां देने की कोशिश करेंगे।)