नाइट कर्फ्यू के विरोध में उतरे व्यापारी; ढाबा व रेस्टोरेंट मालिकों पर सरकार का फैसला भारी, रात 10 बजे से मांगी बंदिशें

प्रदेश में बढ़ते कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सरकार द्वारा लगाए गए रात्रि कर्फ्यू का व्यापारी वर्ग ने पूरी तरह से विरोध किया है। सरकार के इस निर्णय ने फिर से उनकी चिंताएं बढ़ा दी हैं। बड़ी मुशिकल से पटरी पर लौट रहे व्यवसाय के अब फिर से प्रभावित होने के आसार बन गए हैं। रेस्टोरेंट, ढाबा संचालक, होटल, रेस्टोरेंट बार, मिठाई विक्रेता, स्ट्रीट फूड विक्रेता, दूध-दही विक्रेता, सब्जी व फ्रूट विक्रेताओं के साथ किराना बेचने वाले व्यापारी एक बार फिर से सबसे अधिक चिंताओं में डूब गए हैं। इन धंधों से जुडे़ लोगों का कहना है कि आठ से 10 बजे के बीच ही सबसे अधिक ग्राहक पहुंचते हैं, लेकिन सरकार द्वारा लगाए गए कर्फ्यू की वजह से एक बार फिर से इन सबका कारोबार चौपट हो जाएगा, जिसका असर दुकानों पर काम करने वाले सैकड़ों लोगों पर भी पडे़गा।

मंडी शहर में ढाबा, टी स्टाल, रेस्टोरेंट चला रहे उदित नागपाल, राकेश कुमार, अशोक कुमार व अन्य का कहना है कि उनका खाने का काम रात आठ बजे से ही शुरू होता है, लेकिन सरकार द्वारा आठ से सुबह छह बजे तक कर्फ्यू लगा दिया गया है, जिससे उनको रोजी-रोटी का डर सताने लगा है। बड़ी मुश्किल से उनका काम सुचारू रूप से चलने लगा था और ढाबे में काम करने के लिए पूरे स्टाफ को बुला लिया गया था, लेकिन कर्फ्यू के चलते अब आधे स्टाफ  को घर भेजना पड़ेगा, जिससे इनका रोजगार छिन जाएगा। व्यापार मंडल के प्रधान राजेश महेंद्र ने कहा कि सरकार वैसे भी सोशल गैदरिंग रोकने के लिए रात्रि कर्फ्यू लगा रही है, तो ऐसे व्यापारियों को कुछ राहत समय बढ़ा कर दी जा सकती है। व्यापार मंडल की मुख्यमंत्री और जिला प्रशासन से मांग की है कि कर्फ्यू के समय को रात के समय एक या दो घंटा बढ़ाया जाए।

रात का खाना बनाएं या नहीं

ढाबा मालिकों का कहना है कि उन्हें तो यह भी समझ नहीं आ रहा कि वह रात के लिए अपने ढाबों में ग्राहकों के लिए खाना बनाएं या नहीं, क्योंकि कर्फ्यू की वजह से ग्राहक आठ बजे से पहले आएंगे या नहीं, यह भी समझ नहीं आ रहा है।