बाबा गरीब नाथ मंदिर

प्राचीन काल से ही हिमाचल को देवभूमि के नाम से जाना जाता है। यदि हम कहें कि हिमाचल देवी-देवताओं का निवास स्थान है तो बिलकुल भी गलत नहीं होगा। इसलिए ऐसी पावन धरती पर जन्म लेना और यहां जीने का अवसर मिलना सौभाग्य की बात है। ऐसा ही हिमाचल में एक मंदिर है, बाबा गरीब नाथ का मंदिर। हिमाचल प्रदेश के जिला ऊना में गांव रायपुर के पास पड़ता है बाबा गरीब नाथ का मंदिर। यह मंदिर गोबिंद सागर झील में स्थित है और चारों तरफ  से पहाडि़यों से घिरा हुआ है। ये दृश्य हर किसी के मन को मोह लेता है। ये मंदिर साल के लगभग चार महीने पानी के बीच में रहता है। उस समय का दृश्य बहुत ही मनमोहक और रोमांचक  होता है। वैसे इस मंदिर के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। लेकिन जो इसे सोशल मीडिया पर एक बार देख लेता है वो वहां जाने की इच्छा अपने मन में करने लगता है। ये मंदिर बहुत ही शांत और प्रकृति की सुंदरता से भरा हुआ है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार हर बार बरसात के मौसम में बाबा गरीबनाथ मंदिर चारों तरफ  से झील के पानी में घिरने पर कश्ती के सहारे मंदिर पहुंचना पड़ता है। 2-3 महीने तक मंदिर की एक मंजिल झील के पानी में डूब जाती है, इसके बावजूद लोग मंदिर में कश्ती के सहारे माथा टेकने पहुंचते हैं। वहीं बरसात के दिनों में चारों तरफ  से मंदिर को पानी में घिरा देखकर दूर-दूर से पर्यटक पहुंचते हैं। अगर इस मंदिर के इतिहास की बात करें तो जनश्रुतियों के अनुसार मंदिर का इतिहास करीब 500 साल पुराना है। मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर का निर्माण कई साल पहले एक संत ने करवाया था। उस संत के पास जादू की एक छड़ी थी। ऊना जिले से लगभग तीस किलोमीटर दूरी पर रायपुर के पास सिद्ध बाबा गरीब नाथ जी का ये प्रसिद्ध मंदिर है, जो कि औगड़ गांव में गोबिंदसागर झील के भीतर बना हुआ है तथा मंदिर में जाने के लिए नाव द्वारा जाना पड़ता है। यहां पर शिवजी की भी एक बहुत ही सुंदर प्रतिमा है।

जनश्रुतियों के अनुसार, जब ऋषि व्यास के पुत्र शुकदेव का जन्म हुआ, तो उसी समय 84 सिद्धों ने भी विभिन्न स्थानों पर जन्म लिया। इनमें से एक सिद्ध बाबा गरीब नाथ जी भी हैं, जो दत्तात्रेय के शिष्य थे। सिद्धबाबा गरीब नाथ जी विभिन्न राज्यों में विभिन्न नामों से जाने जाते हैं। मान्यता के अनुसार, 500 वर्ष पूर्व यहां के स्थानीय निवासियों को झडि़यों में एक ज्योति जलती दिखी, जब लोगों ने यहां आकर देखा तो अमरताश पेड़ के नीचे सिद्ध बाबा गरीब नाथ भक्ति में लीन थे। भक्ति के दौरान उन्होंने लोगों को बताया कि मैं बाबा गरीब नाथ हूं और कहा कि जो यहां भक्ति और तपस्या करेंगे उनकी मनकोकामना पूरी होगी। बता दें कि स्थानीय निवासी बाबा नसीब सिंह जी इस मंदिर के प्रसिद्ध सेवादार थे। साल 1978 में जब वे बीमार हुए थे, उनके बचने की उम्मीद कम थी। बताया जाता है कि बाबा नसीब को अचानक रात को सपना आया और सपने में सिद्ध बाबा गरीब नाथ जी ने उन्हें दर्शन दिए। बाबा ने नसीब सिंह को मंदिर के अखंड धूणे से भभूती ग्रहण करने को कहा।

मान्यता है कि नसीब सिंह ने भभूती खाई और वो पूरी तरह स्वस्थ हो गए। इस तरह से सारे इलाके में ये खबर फैल गई, जिससे सिद्ध बाबा गरीब नाथ के प्रति लोगों की आस्था बढ़ गई। बरसात में इस मंदिर के चारों ओर गोविंदसागर झील का पानी बढ़ने से मंदिर का ज्यादातर हिस्सा पानी में डूब जाता है, जिसे देखने का अपना ही सुंदर नजारा होता है।  मंदिर में  लगभग 31 फुट की शिव भगवान की प्रतिमा है, जो इसकी शोभा को चार चांद लगाती है। अगर हिमाचल सरकार इस ओर ध्यान आकर्षित करें, तो ये स्थल धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से विकसित हो सकता है। यहां बेहतर सुविधाओं द्वारा इस क्षेत्र को  पर्यटन स्थल के रूप में  विकसित किया जा सकता है।

– शशि राणा, रक्कड़