जिन राज्यों में 25 हजार से कम केस, उनमें सबसे ज्यादा मौतें चंडीगढ़ में दर्ज पढ़ें रिपोर्ट

लापरवाही जिंदगी पर पड़ी भारी, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट

 चंडीगढ़ चंडीगढ़ में कोरोना के मामलों में लापरवाही महंगी पड़ रही है। कोरोना केसों के आंकड़े 100 से ऊपर चले जाते हैं, तो कभी नीचे, लेकिन कोरोना से होने वाली मौतों की गति धीमी नहीं पड़ रही। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जिन राज्यों में 25 हजार से कम कोरोना के केस हैं, उनमें सबसे ज्यादा मौतें चंडीगढ़ में दर्ज की गई हैं। चंडीगढ़ स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, कोरोना मृतकों में से 85 फीसदी सीनियर सिटीजन और वे लोग थे जो किसी अन्य बीमारी से पहले से पीडि़त थे। इस डाटा से साफ  है कि कोरोना का सबसे ज्यादा खतरा इन्हीं दोनों को है। ऐसी स्थिति में इन लोगों को ज्यादा एहतियात बरतने की आवश्यकता है, लेकिन स्थिति उलट हो गई है।

चंडीगढ़ स्वास्थ्य विभाग की निदेशक डा. अमनदीप कंग ने बताया कि कोरोना से पीडि़त होने के बाद खासकर सीनियर सिटीजन अस्पताल में दाखिल नहीं होना चाहते। वह होम आइसोलेशन में रहना चाहते हैं। टीम उनके सामने मिन्नतें करती है, लेकिन वे अस्पताल नहीं आना चाहते। अब हम जबरदस्ती किसी को अस्पताल में दाखिल भी नहीं करवा सकती। जब ज्यादा स्थिति बिगड़ती है तब वह अस्पताल आते हैं, लेकिन इस दौरान बहुत कुछ हाथ से निकल चुका होता है। डा. कंग का कहना है कि देखने में आया है कि जिनमें खतरा ज्यादा हैए उन कोरोना मरीजों की हालत अचानक से खराब होती है। लोगों को संभलने तक का मौका नहीं मिलता है। विभाग की ओर से होम आइसोलेशन के मरीजों को ऑक्सीमीटर मुहैया करवाए जाते हैं। साथ में हिदायत दी जाती है कि हर चार घंटे आक्सीजन का स्तर नापते रहें और उसका रिकार्ड रखेंए लेकिन लोग इसमें भी लापरवाही बरत रहे हैं। ऑक्सीमीटर का स्तर जब 95 से नीचे आए तो उसकी जानकारी टीम को देना होता हैए लेकिन 88 तक पहुंचने के बावजूद टीम को सूचित नहीं किया जाता।