किसानों में भ्रम फैला रहे सभी विपक्षी दल, आशंका फैलाने वालों की सच्चाई देश के सामने

किसान आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री मोदी का विरोधियों पर वार

एजेंसियां, वाराणसी

नए कृषि कानूनों का देश में अलग-अलग हो रहे विरोध के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को बिना नाम लिए विपक्षी दलों पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि दशकों तक किसानों के साथ छल करने वाले अब किसानों के बीच भ्रम और आशंका फैला रहे हैं। केंद्र सरकार के पिछले छह साल के ट्रैक रिकार्ड के आधार पर भ्रम फैलाने वालों का झूठ देश के सामने आ रहा है। पीएम ने देश को आश्वस्त करते हुए कहा कि केंद्र सरकार छल से नहीं, गंगाजल जैसे निर्मल नीयत के साथ किसानों के हित में जुटी है। उन्होंने भरोसा जताया कि हमारा अन्नदाता आत्मनिर्भर भारत की अगवाई करेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकारें फैसले लेती हैं।

उनका विरोध होता है। फैसलों पर कुछ सवाल उठाए जाते हैं। यह लोकतंत्र में स्वाभाविक है, लेकिन इन दिनों विरोध का नया ट्रेंड दिख रहा है, जिसके तहत सरकार के फैसले पर भ्रम और आशंका फैलाई जा रही है। उन्होंने कहा कि दुष्प्रचार किया जाता है कि फैसला तो ठीक है, लेकिन पता नहीं, इससे आगे चलकर क्या-क्या होगा। ऐतिहासिक कृषि सुधारों के संबंध में भी जानबूझकर यही खेल हो रहा है। हमें याद रखना है कि ये वही लोग हैं, जिन्होंने दशकों तक किसानों से छल किया है। मोदी ने पिछली सरकारों पर प्रहार करते हुए कहा कि पहले एमएसपी तो घोषित होता था, लेकिन उसके अनुसार खरीद बहुत कम की जाती थी। सालों तक एमएसपी को लेकर छल किया गया है। किसानों के नाम पर बड़े-बड़े कर्ज माफी के पैकेज घोषित होते थे, लेकिन छोटे और सीमांत किसानों तक वे पहुंचते ही नहीं थे। कर्ज माफी को लेकर भी छल किया गया। किसानों के नाम पर बड़ी-बड़ी योजनाएं घोषित करने वाले मानते थे कि एक रुपया में सिर्फ 15 पैसे ही किसान तक पहुंचते हैं।

एनडीए के एक और सहयोगी ने दी साथ छोड़ने की धमकी

जयपुर। केंद्र सरकार में एनडीए का हिस्सा राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (रालोपा) ने किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की है। रालोपा के संयोजक और राजस्थान से सांसद हनुमान बेनीवाल ने ऐलान किया है कि यदि ऐसा नहीं किया गया तो वह एनडीए में बने रहने पर विचार करेंगे। बेनीवाल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को किसान आंदोलन के मुद्दे पर चिट्ठी भी लिखी है। उन्होंने कहा है कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए तुरंत काम करें। भीषण सर्दी और कोरोना काल में देश का अन्नदाता आंदोलन कर रहा है, जोकि शासन के लिए शोभनीय नहीं है।