जोड़तोड़-जुगाड़ में उलझ गईं नगर परिषदें, दोनों बड़े दलों भाजपा-कांग्रेस ने झोंकी ताकत

ज्यादातर बड़ी नगर परिषदों का नहीं हो पाया गठन

शकील कुरैशी — शिमला

प्रदेश के शहरी निकाय सियासत और जोड़तोड़ के भंवर में फंस गए हैं। राज्य के अधिकांश शहरी निकायों का गठन सोमवार को नहीं हो सका। कहीं शपथ नहीं हो सकी, तो कहीं शपथ लेने के बाद प्रतिनिधि भाग खड़े हुए। ऐसे में विवाद खड़े हैं, लेकिन तीन दिन बाद दूसरी बैठक में सब कुछ साफ हो जाएगा। इस दिन बैठक में कोरम की जरूरत नहीं, लिहाजा जो वहां मौजूद होंगे, उनमें से ही अध्यक्ष व उपाध्यक्ष चुन लिए जाएंगे।

दिलचस्प मामले कई जगह सामने आए, जहां शपथ लेने के लिए प्रतिनिधि वहां से चले गए, ताकि अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के चुनाव नहीं हो सके। बता दें कि जहां पर बराबर-बराबर की टक्कर है, वहां अभी चयन नहीं हो सका है। अभी भी छोड़-तोड़ का दौर चल रहा है। कुल मिलाकर प्रदेश में दस जनवरी को 50 शहरी निकायों का गठन किया गया था, जिसमें से अभी अधिकांश पर अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का चयन किया जाना है। तीन दिन के बाद दूसरी बैठक में सभी का फैसला हो जाएगा। इससे पूर्व राजनीतिक दलों ने जो दावे किए थे वो पूरी तरह से सही नहीं हुए हैं, जिनमें खुद राजनीतिक दल ही फंसकर रह गए हैं।         (एचडीएम)

कांगड़ा में बढ़ी रोचकता

प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा की बात करें, तो ज्वालामुखी में जहां भाजपा की अंतर्कलह उजागर हुई है, वहीं कांग्रेस ने शहरी निकाय पर कब्जा जमा लिया है। वहीं, नगरोटा में शहरी निकाय पर भाजपा का कब्जा हुआ है। नूरपुर में भी भाजपा ने अपना परचम लहराया है। वहीं, शाहपुर में भी अध्यक्ष पद पर भाजपा समर्थित है, लेकिन उपाध्यक्ष के पद पर मनकोटिया गुट का समर्थक बताया जाता है। देहरा में भाजपा का कब्जा हुआ है, वहीं जवाली, कांगड़ा व पपरोला में अभी पेंच फंसा है, जहां मामला सुलझ नहीं पाया। कुल मिलाकर कांगड़ा नगर परिषद का गठन फंस गया है। यहां पहले तो कांग्रेस ने तीन सीटें जीतने का दावा किया था, पर अब समीकरण बदल गए हैं। भाजपा के समर्थन में तीन और कांग्रेस के पास सीधे समर्थन में मात्र दो पार्षद हैं। यहां डा. राजेश शर्मा की पत्नी कोमल ने खुद को कांग्रेस खेमे से बाहर कर लिया है। रविवार को वह भाजपा की बैठक में शामिल हुई थीं।

सिरमौरः शपथ लेने ही नहीं आए

सिरमौर जिला की राजगढ़ नगर पंचायत में भाजपा ने कब्जा जमाया, मगर पांवटा व नाहन में इनका गठन नहीं हो सका। नाहन में शपथ तो ली गई, लेकिन इसके बाद कोरम पूरा नहीं हुआ और प्रतिनिधि वहां से चले गए। इतना ही नहीं पांवटा नगर परिषद में शपथ ग्रहण समारोह ही नहीं हुआ। यहां पहले से काफी विवाद चल रहा है और ऊर्जा मंत्री का क्षेत्र है, मगर यहां शपथ लेने ही कोई नहीं आया।

शिमलाः जुब्बल में भाजपा, रोहड़ू में विवाद

शिमला जिला की बात करें, तो यहां जुब्बल नगर पंचायत में भाजपा का कब्जा हुआ है, तो रोहडू में विवाद कायम है। नारकंडा में भाजपा का कब्जा हुआ है, तो ठियोग में कांग्रेस का। सुन्नी नगर पंचायत में कोरम ही पूरा नहीं हो सका है, जहां चार कांग्रेस व तीन भाजपा के सदस्य बताए जाते हैं।

सोलनः अर्की में कांग्रेस का कब्जा

सोलन जिला की बात करें, तो पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का विधानसभा क्षेत्र अर्की है, जहां अर्की नगर पंचायत में कांग्रेस का कब्जा हुआ है। वहीं, परवाणू, बद्दी व नालागढ़ में गठन ही नहीं हो सका है। पिछली बार नालागढ़ में कांग्रेस का कब्जा था, लेकिन इस बार पहले कांग्रेस ने दावा किया, लेकिन बाद में भाजपा ने दावेदारी जताई है। ऐसे में यहां भी समीकरण ठीक नहीं बैठ सके हैं।

मंडीः सुंदरनगर-करसोग ने चुन लिए

मंडी में सुंदरनगर नगर परिषद पर भाजपा का कब्जा हुआ, तो करसोग नगर पंचायत में कांग्रेस ने अध्यक्ष व उपाध्यक्ष बनाए, जबकि यहां से भाजपा का विधायक है। नेरचौक, सरकाघाट, रिवालसर व जोगिंद्रनगर शहरी निकायों का गठन ही नहीं हो पाया। जोगिंद्रनगर में भी प्रतिनिधि शपथ के बाद वहां से निकल गए, जिससे कोरम अधूरा रह गया।

ऊना-हमीरपुर-कुल्लू-चंबा के हाल

ऊना की गगरेट नगर पंचायत में भाजपा, दौलतपुर में भाजपा का कब्जा हुआ है जबकि ऊना, टाहलीवाल व मैहतपुर में गठन नहीं हो पाया है। हमीरपुर शहरी निकाय में भाजपा का कब्जा हुआ है, तो वहीं भोटा में भी भाजपा ने परचम लहराया है। नादौन व सुजानपुर शहरी निकायों में विवाद कायम है, जिसका हल भी तीन दिन बाद ही होे पाएगा। चंबा में भाजपा, डलहौजी व चुवाड़ी में अभी विवाद कायम है। कुल्लू जिला की बात करें, तो यहां भुंतर में भाजपा, बंजार में भाजपा, मनाली में भाजपा तथा कुल्लू शहरी निकाय में कांग्रेस का कब्जा हुआ है।

देहरा में सर्वसम्मति से चुन लीं नगर परिषद

अध्यक्ष, दावेदार ने दी कोर्ट जाने की धमकी

देहरा। देहरा नगर परिषद से सुनीता कुमारी को अध्यक्ष और मलकियत परमार को उपाध्यक्ष चुन लिया गया। अभी ताज मिले दो घंटे ही हुए थे कि वार्ड छह की सुनीता शर्मा ने अध्यक्ष पद पर दावेदारी जता दी। उन्होंने प्रशासन को दो दिन का वक्त देकर हाई कोर्ट जाने की चेतावनी दी है। उन्होंने स्पष्ट कहा है कि वह इकलौती अध्यक्ष पद की दावेदार हैं, क्योंकि देहरा नगर परिषद अध्यक्ष पद पर सिर्फ महिला जरनल कैटेगरी के लिए आरक्षित है।