सोलन के दरबारी हॉल में रखा था हिमाचल का नाम, वर्तमान में ऐतिहासिक इमारत जर्जर हालत में

73 वर्ष पहले बघाट रियासत के भवन में हुआ था नामकरण

मुकेश कुमार—सोलन

हिमाचल प्रदेश 25 जनवरी को पूर्ण राज्यत्व दिवस मना रहा है, किंतु इतिहास के पन्ने पलटकर देखें, तो हिमाचल का नामकरण करीब 73 वर्ष पूर्व सोलन के दरबारी हॉल में हुआ था। यह दरबारी हॉल बघाट रियासत के राजा कंवर दुर्गा सिंह के शासनकाल में जनता की फरियादें सुनने के लिए बनाया गया था। आज से 73 वर्ष पूर्व 1948 को प्रदेश की 28 रियासतों के राजाओं ने अपनी-अपनी अलग रियासतों को छोड़कर केंद्र सरकार से हाथ मिला लिया था। उस समय प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री डा. वाईएस परमार यहां के दरबारी हॉल में कुल 28 रियासतों के राजाओं ने एक बैठक का आयोजन किया था। बैठक में इन राजाओं ने एकजुटता का पिरचय देते हुए डा. यशवंत सिंह परमार की उपस्थिति में अपनी गद्दी छोड़ने के लिए हामी भर दी।

 एक ओर आजादी के बाद का भारत वश्वि मानचित्र पत्र अपनी नई पहचान बना रहा था, इसी बीच सोलन बघाट रियासत के दरबारी भवन की दीवारों के बीच प्रदेश के नाम को लेकर 28 रियासतों के राजा और प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डा. वाईएस परमार के बीच प्रदेश के नाम को लेकर खींचतान चल रही थी।  दरअसल, डा. परमार चाहते थे कि उत्तराखंड राज्य का जौनसर बाबर क्षेत्र भी हिमाचल में मिले और इसका नाम हिमालयन एस्टेट रखा जाए, लेकिन बैठक में मौजूद 28 राजाओं के बीच डा. परमार को किसी का साथ नहीं मिला और देवभूमि का कागजी नाम हिमाचल प्रदेश रखने पर सहमति बनी, जिसके बाद एक प्रस्ताव पारित कर तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल को मंजूरी के लिए भेजा गया। सरदार पटेल ने इस प्रस्ताव पर मुहर लगाकर हिमाचल का नाम घोषित किया और आज यह नाम इस पहाड़ी राज्य की पहचान है। (एचडीएम)

तीन कुर्सियां अब भी मौजूद

आजादी के साज दशक बाद भी ऐतिहासिक धरोहर की सुध नहीं ली जा रही है, हालांकि दरबारी हॉल में आज भी कुछ चीजों में उस समय की झलकियां देखने को मिलती हैं। दरबार द्वार और उस पर की गई नक्काशी इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। हॉल में उस समय की तीन कुर्सियां आज भी मौजूद हैं, लेकिन पर्याप्त रखरखाव न होने के कारण इतिहास की गवाह इन कुर्सियों की हालत भी बद से बद्तर हो चली है।

दम तोड़ रही इमारत

एक समय में राजसी शान-ओ-शौकत का गवाह रही यह इमारत आज धीरे-धीरे दम तोड़ रही है। मौजूदा समय में यहां लोक निर्माण विभाग का कार्यालय है, जो बीते कई सालों से इस ऐतिहासिक इमारत में चल रहा है, लेकिन जिलाभर के सरकारी भवनों को बनाने और रखरखाव करने वाले लोक निर्माण विभाग का कार्यालय इस जर्जर भवन में चल रहा है।