डेढ़ साल तक रोकने को राजी, एमएसपी पर नई कमेटी के गठन का भी दिया प्रस्ताव
दिव्य हिमाचल ब्यूरो — नई दिल्ली
किसान आंदोलन के 56वें दिन बुधवार को किसान संगठनों के साथ 11वें राउंड की बातचीत में कृषि कानूनों पर केंद्र सरकार कुछ झुकती हुई नजर आई। केंद्र ने किसानों के सामने दो प्रपोजल रखे हैं। केंद्र ने किसानों के सामने प्रस्ताव रखा है कि डेढ़ साल तक कृषि कानून लागू नहीं किए जाएंगे। इसके अलावा एमएसपी पर बातचीत के लिए नई कमेटी का गठन किया जाएगा। हालांकि, किसान कानूनों की वापसी पर ही अड़े हुए हैं। सरकार के प्रोपोजल पर किसान गुरुवार को चर्चा करेंगे और सरकार के साथ 22 जनवरी को अगली बैठक में इन प्रस्तावों पर जवाब देंगे। विज्ञान भवन में जब कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने 40 किसान संगठनों के नेताओं से बातचीत शुरू की, तो किसानों ने केवल कानून वापसी की ही मांग उठाई।
लंच के दौरान किसानों ने कहा कि सरकार हमारी प्रमुख मांगों पर कोई बातचीत नहीं कर रही है। एमएसपी को लेकर हमने चर्चा की बात कही, तो केंद्र ने कानूनों का मुद्दा छेड़ दिया। किसान नेताओं ने आंदोलन से जुड़े लोगों को नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) की तरफ से नोटिस भेजने का भी विरोध किया। संगठनों ने कहा कि एएनआई का इस्तेमाल किसानों को परेशान करने के लिए किया जा रहा है। इस पर सरकार ने जवाब दिया कि अगर ऐसा कोई बेगुनाह किसान आपको दिख रहा है, तो आप लिस्ट दीजिए। हम यह मामला तुरंत देखेंगे। उधर, सरकार के साथ बैठक के बाद किसान नेता हन्नान मोल्लाह ने कहा कि सरकार ने कहा है कि हम कोर्ट में एफिडेविट देकर कानून को डेढ़-दो साल तक होल्ड पर रख सकते हैं। कमेटी बनाकर चर्चा करके, कमेटी जो रिपोर्ट देगी, हम उसको लागू करेंगे। हम 500 किसान संगठन हैं। गुरुवार को हम सबसे चर्चा करके 22 जनवरी को अपना जवाब देंगे। हालांकि कानूनों को निलंबित करने का कोई मतलब नहीं है और हम कानूनों को रद्द करना चाहते हैं।
सुप्रीम कोर्ट की कमेटी की किसानों से पहली मीटिंग आज
कृषि कानूनों के मुद्दे के समाधान के लिए सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बनाई गई कमेटी के तीन सदस्यों की किसानों के साथ पहली बैठक गुरुवार को होगी। जो किसान संगठन बैठक में नहीं आएंगे, उनसे कमेटी के सदस्य मिलने भी जाएंगे। कमेटी ने ऑनलाइन सुझाव लेने के लिए पोर्टल बनाया है। इस पोर्टल पर 15 मार्च तक किसानों के सुझाव लिए जाएंगे। इसके बाद कमेटी सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिपोर्ट देगी।
आंदोलन में शामिल दो और किसानों की मौत
नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों पर जारी तकरार के बीच बुधवार को दो और आंदोलनकारी किसानों की मौत हो गई। एक मौत टीकरी बॉर्डर पर हुई, जहां 60 वर्षीय किसान धन्ना सिंह 27 नवंबर से ही आंदोलन में शामिल थे। बुधवार को अचानक हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई। इससे पहले टीकरी बॉर्डर पर कथित रूप से जहरीला पदार्थ खाने वाले एक किसान की बुधवार को यहां एक अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। मृतक की पहचान जय भगवान राणा (42) के तौर पर हुई है, वह हरियाणा के रोहतक जिले में पकासमा गांव का रहने वाला था। राणा ने मंगलवार को टीकरी बॉर्डर के प्रदर्शन स्थल पर सल्फास की गोलियां खा ली थीं।