जानें भैरव जी की साधना के नियम

शृणु देवि, प्रवक्ष्यामि भैरवस्य महात्मनः। आपदुद्धारक स्येह नामाष्टशत मुत्तमम्। सर्वपापहरं पुण्यं सर्वापद्वि निवारणम्।। सर्वकामार्थदं देवि, साधकानां सुखावहम्। सर्व मंगल मांगल्यं सर्वोपद्रव नाशनम्।। बृहदारण्यको नाम ऋषिर्देवोअथ भैरवः। नामाष्टशतकस्याअस्य छंदोअनुष्टप् प्रकीर्तितम्।। अष्टाबाहुं त्रिनयनमिति बीजम् समीरितम्। शक्तिः कं कीलकं शेषमिष्टसिद्धौ नियोजयेत्।। ओउम रुद्राय नमः (अंगुष्ठयोः)। ओउम शिखीमखाय नमः (तर्जन्योः)…

-गतांक से आगे…

मंत्र

ओउम ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं। द्वाविंशत्यक्षरो मंत्रः सर्वसिद्धि प्रदायकः।

सर्वकामार्थदं मंत्र सर्वसिद्धि प्रदायकः।। पठेद् वा पाठयेद् वाअपि पूजयेद् वाअपि पुस्तकम्।

नाअग्नि चौरभयं तत्र ग्रहराजभयं तथा।। न च मारीभयं किंचित् सर्वत्र सुखवान भवेत्।

आयुरारोग्यमैश्वर्यं पुत्रपौत्रादि संपदः।। भवंति सततं तस्य पुस्तकस्यापि पूजनात्।।

पार्वत्युवाच-

क एष भैरवो नाम आपदुद्धारणो मतः। तस्य नाम सहस्राणि प्रयुतांयर्बुदानि च। त्वया च कथितो देवो भैरवः कल्पवित्तमः।। सारमुघ्लृत्य तेषां वै नामाष्ट शतकं वद। यानि संकीर्तयन् मर्त्यः सर्वदुःख वर्जितः।। सर्वान् कामानवाप्नोति साधकः सिद्धिमेव च।।

ईश्वरोवाच-

शृणु देवि, प्रवक्ष्यामि भैरवस्य महात्मनः। आपदुद्धारक स्येह नामाष्टशत मुत्तमम्। सर्वपापहरं पुण्यं सर्वापद्वि निवारणम्।। सर्वकामार्थदं देवि, साधकानां सुखावहम्। सर्व मंगल मांगल्यं सर्वोपद्रव नाशनम्।। बृहदारण्यको नाम ऋषिर्देवोअथ भैरवः। नामाष्टशतकस्याअस्य छंदोअनुष्टप् प्रकीर्तितम्।। अष्टाबाहुं त्रिनयनमिति बीजम् समीरितम्। शक्तिः कं कीलकं शेषमिष्टसिद्धौ नियोजयेत्।। ओउम रुद्राय नमः (अंगुष्ठयोः)। ओउम शिखीमखाय नमः (तर्जन्योः)। ओउम शिवाय नमः (मध्यमयोः)। ओउम त्रिशूलिने नमः (अनामिकयोः)। ओउम ब्रह्मणे नमः (कनिष्ठिकयोः)। ओउम त्रिपुरांतकाय नमः (तलयोः)। ओउम मांसाशिने नमः (कराग्रे)। ओउम सदाशिवाय नमः (करपृष्ठे)। ओउम भैरवाय नमः (मर्ध्नि)। ओउम भीमदर्शनाय नमः (ललाटे)। ओउम भूतहननाय नमः (नेत्रयो)। ओउम सारमेयागुनाय नमः (भ्रुवोः)। ओउम भूतनाथाय नमः (कर्णयोः)। ओउम प्रेतवाहनाय नमः (कपोलयोः)। ओउम भस्मांगाय नमः (नासापुटयोः)। ओउम सर्वभूषणाय नमः (ओष्ठयोः)। ओउम अनादिभूताय नमः (आस्ये)। ओउम शक्तिहस्ताय नमः (कंठे)। ओउम दैत्यशमनाय नमः (स्कंधयोः)। ओउम अतुलतेजसे नमः (बाहोः)। ओउम कपालिने नमः (पाण्योः)। ओउम मुंडमालिने नमः (हृदये)। ओउम शांताय नमः (वक्षस्थले)। ओउम कामचारिणे नमः (स्तनयोः)। ओउम सदातुष्टाय नमः (उदरे)। ओउम क्षेत्रज्ञाय नमः (पार्श्वयोः)। ओउम क्षेत्रपालाय नमः (पृष्ठदेशे)। ओउम क्षेत्रजाय नमः (नाभिदेशे)। ओउम पापौघनाशनाय नमः (कट्याम)। ओउम बटुकाय नमः (लिंगदेशे)। ओउम रक्षकराय नमः (गुदे)।