संकटमोचन हनुमान स्तोत्र

-गतांक से आगे…

औगुन मोर क्षमा करु साहेब। जानिपरी भुज की प्रभुताई।।

भवन आधार बिना घृत दीपक। टूटी पर यम त्रास दिखाई।।

काहि पुकार करो यही औसर। भूलि गई जिय की चतुराई।।

गाढ़ परे सुख देत तुम्हीं प्रभु। रोषित देखि के जात डेराई।।

छाड़े हैं माता पिता परिवार। पराई गही शरणागत आई।।

अनुमान बिना नहीं कोउ सहाई।। मझधारहिं मम बेड़ी अड़ी।

भवसागर पार लगाओ गोसाईं।। पूज कोऊ कृत काशी गयो।

मह कोऊ रहे सुर ध्यान लगाई।। जानत शेष महेष गणेश।

सुदेश सदा तुम्हरे गुण गाई।। और अवलम्ब न आस छुटै।