भगवंत मान बोले; कृषि कानून रद्द करना ही एकमात्र समाधान, हम किसानों के साथ,, मांग का समर्थन
निजी संवाददाता — चंडीगढ़
सुप्रीम कोर्ट द्वारा कृषि कानून पर तत्काल रोक लगाने और समाधान के लिए कोर्ट द्वारा समिति गठित करने के फैसले पर आम आदमी पार्टी पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद भगवंत मान ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हम किसानों की मांग का शत प्रतिशत समर्थन करते हैं और केंद्र द्वारा बनाए गए काले कृषि कानूनों को रद्द करवाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि हम और हमारी पार्टी किसानों के स्वभिमान के साथ कोई समझौता नहीं चाहते हैं। उन्होंने कहा कि महीनों से जारी गतिरोध को दूर करने का एकमात्र उपाय है काले कृषि कानूनों को रद्द करना। समिति बनाना इसका कोई स्थाई समाधान नहीं है। समिति की निष्पक्षता पर सवाल खड़े करते हुए मान ने कहा कि समिति में जो लोग शामिल किए गए हैं, उनमें से ज्यादातर केंद्र सरकार के नुमाइंदे हैं। हमें शक है कि यह समिति किसानों की वास्तविक समस्याओं को समझकर उसका कोई स्थायी समाधान कर पाएगी। उन्होंने कहा कि किसानों की यह लड़ाई कोई समिति बनाने के लिए नहीं है।
किसी किसान संगठन ने कभी भी समाधान के लिए कोई कमिटी बनाने की मांग नहीं की है। उन्होंने कहाए इस भीषण ठंड में अपनी जान की बाजी लगाकर लाखों किसान दिल्ली बॉर्डर पर पिछले डेढ़ महीने से कमिटी बनाने के लिए संघर्ष नहीं कर रहे हैं। उनकी सरकार से पूरी स्पष्टता के साथ सिर्फ एक ही मांग है कि किसानों के भविष्य को खतरे में डालने वाले इन तीनों काले कृषि कानूनों को रद्द किया जाए। इन काले कानूनों को मोदी सरकार अपने साथी कॉर्पोरेट घराने को फायदे पहुंचाने के लिए लाई है। जिस कृषि कानून को किसान ही नकार रहे हैं और उसे अपने भविष्य के लिए खतरा मान रहे हैं उसे मोदी सरकार द्वारा जबर्दस्दी किसानों पर थोपने की कोशिश करना यह साबित करता है कि मोदी सरकार की नीयत में खोंट है और वह अपनी जेब भरने के लिए जानबूझ कर किसानों के भविष्य को संकट में डाल रही है। हमें उम्मीद थी कि किसानों के संकट की इस घड़ी में कैप्टन सरकार पंजाब के किसानों के लिए कुछ सकारात्मक कदम उठाएगी, लेकिन कैप्टन ने किसानों के दुख-दर्द समझने के बजाय अपने बेटे को ईडी से बचाने के लिए मोदी-शाह के साथ हाथ मिला लिया।
किसान भाई-बहनों की तकलीफ का एहसास
मान ने कहा, एक किसान का बेटा होने के नाते हमें इस जानलेवा ठंड में काले कृषि कानूनों के खिलाफ महीनों से सडक़ो पर संघर्ष कर रहे अपने किसान भाइयों और बहनों की तकलीफ का एहसास है। हम उनके दर्द को समझते हैंए इसलीए उनके संघर्ष और संकट को दूर करने एवं उनकी समस्याओं का स्थायी समाधान के लिए हम सिर्फ और सिर्फ काले कृषि कानूनों का खात्मा चाहते हैं। इसे चाहे सुप्रीम कोर्ट रद्द करे या केन्द्र सरकारए हमें इससे कोई लेना.देना नहीं। हमें सिर्फ कानून रद्द होने से मतलब है।