लोहड़ी का इतिहास समझें

-राजेश कुमार चौहान, सुजानपुर टीहरा

हमारा देश देवभूमि के नाम से भी दुनिया में प्रख्यात है। यहां जितने पर्व और त्योहार मनाए जाते हैं, उतने शायद और कहीं नहीं मनाए जाते हैं। प्रसिद्ध त्योहार लोहड़ी हमें बुराई और अनैतिक कामों की राह पर न जाने का संदेश देता है। अफसोस इस बात का है कि कुछ संकीर्ण सोच वाले लोग त्योहार के इतिहास या उसकी शिक्षाओं से अवगत न होकर उस त्योहार के साथ अंधविश्वासी और रूढि़वादी परंपरा का प्रचलन कर देते हैं। लोहड़ी के त्योहार के साथ भी कुछ रूढि़वादी विचारधारा के लोगों ने एक परंपरा यह जोड़ दी है कि लड़का पैदा होने या लड़के की शादी के बाद पहली लोहड़ी धूमधाम से मनाई जाएगी, लड़की की नहीं। ऐसी रूढि़वादी परंपराओं ने ही भारतीय संस्कृति को बदनाम किया हुआ है। इस पर रोक लगनी चाहिए।