घर में आयुर्वेद

– डा. जगीर सिंह पठानिया

सेवानिवृत्त संयुक्त निदेशक,

आयुर्वेद, बनखंडी

घर की रसोई बनाम मिनी औषधालय

हमारे घर की रसोई में भोजन बनाने के लिए जो भी मसाले व रसोई से संबंधित अन्य सामान रखा होता है, वो सब औषधीय गुणों से भरपूर होता है और अगर हम इसका ज्ञान रखें, तो इसे कभी भी आपात स्थिति में प्रयोग कर सकते हैं इसलिए अगर हम अपनी रसोई को मिनी औषधालय का भी दर्जा दें, तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। तो आइए जाने इसके लाभ।

मेथी- मेथी को भिगो कर या 3 ग्राम मेथी पाउडर को जोड़ों के दर्द व शुगर में लिया जा सकता है।

धनिया– सिर दर्द, भूख खोलने, गर्मी शांत करने व पेशाब खोलने में 5 ग्राम सुबह शाम ।

पिप्पली या मघः 2 ग्राम पाउडर पाचन, खांसी व गले के रोगों में।

सोंठ- 3 ग्राम पाउडर खांसी, श्वास, अपचन व आमवात में शहद में मिलाकर।

छोटी इलायची- खांसी, उल्टी रोकने व माउथ फ्रेशनर के रूप में।

लाल मिर्च- तेल में पकाकर तेल को घाव पर लगाना चाहिए।

जीरा-5 ग्राम मात्रा पाचक, रुचिकर, खांसी, दस्त रोकने व भूख बढ़ाने के लिए।

बड़ी इलायची- पाचन में, पीलिया या बुखार में।

लहसुन- गैस हर, पाचक तथा कोलेस्ट्रॉल को कम करने में प्रयुक्त।

अजवाइन- 5 ग्राम मात्रा अफारा पेट गैस, पेट जलन व अपचन में लाभकारी होती है।

अदरक– इसका रस बराबर शहद मिला कर लेने से खांसी, जुकाम, ठंड व बुखार को ठीक करता है।

हल्दी– 5 ग्राम हल्दी दूध में लेने से एलर्जी दूर होती है। रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है तथा तेल में मिलाकर जख्म पर लगाने से एंटी सेप्टिक का काम करती है।

मीठी सौंफ  या सोया– मुख कंठ शोधन, खून की कमी या याददाश्त बढ़ाने के लिए काम आती है।

कड़वी सौंफ– भून कर 5 ग्राम मात्रा भूख बढ़ाने, पेट दर्द, दस्त दूर करने व मुख शोधन के लिए प्रयोग करते हैं।

हींग– 100 मिली ग्राम भून कर लेने से पेट दर्द, अफारा व दस्त रोकने के लिए।

लौंग– दांत दर्द, गले की खराबी, खांसी, थकावट में 5 ग्राम लवंग चूर्ण चीनी के साथ लेना।

मुलेठी- गले की खराश, दर्द, खांसी, जुकाम व मां का दूध बढ़ाने में उपयोगी।