सही खान-पान रखे निरोग

कोरोना की दस्तक के साथ ही एक बार फिर से भारतीय आयुर्वेद की अहमियत बढ़ गई है। अब लोग सर्दी, खांसी, जुकाम जैसी परेशानियों से निपटने के लिए घर पर ही काढ़ा बनाकर पी रहे हैं। ऐसे में लोगों ने खान-पान में भी बदलाव किया है। भारत में आयुर्वेदिक आहार सदियों से अपनाया जा रहा है। आयुर्वेद एक संपूर्ण चिकित्सा है, जो शरीर और मन दोनों की सेहत को संतुलित करता है। आयुर्वेद के अनुसार वायु, जल, आकाश, अग्नि और पृथ्वी की मदद से ये पूरी दुनिया बनी हुई है। ये पांचों तत्त्व तीन दोषों का निर्माण करते हैं। ये एक तरह की एनर्जी होती है जो हमारी बॉडी में सर्कुलेट होती है।  ये तत्त्व हैं वात्त, पित्त और कफ । पित्त दोष भूख, प्यास और शरीर के तापमन को नियंत्रित करता है। तो वहीं, वात दोष इलेक्ट्रोलाइट्स को बैलेंस करता है और गति बनाकर रखता है, जबकि कफ  दोष संयुक्त काम को बढ़ावा देता है।

आयुर्वेदिक डाइट आयुर्वेद का एक हिस्सा है, क्योंकि आयुर्वेद के अनुसार ज्यादातर बीमारियों और शारीरिक समस्याओं का कारण हमारे आहार होते हैं, इसलिए उनका उपचार भी आहार के द्वारा ही किया जाता है।  यह सालों से प्रेक्टिस किया जा रहा है। आयुर्वेदिक डाइट इन तीनों दोषों के बीच में संतुलन बनाने का काम करती है। आइए विस्तार से जानते हैं इन नियमों को।

खाने में जोड़ें ये छह टेस्ट

आयुर्वेद में छह तरह के स्वाद के बारे में बताया गया है। जिनसे शरीर को एक अलग ऊर्जा मिलती है। ये छह स्वाद हैं मीठा, खट्टा, नमकीन, तीखा, कड़वा और कसैला। जब आप अपनी थाली में हर रोज ये छह टेस्ट शामिल करते हैं, तो आपके शरीर को बायो डायवर्स ऊर्जा मिलती है। कोशिश करें कि अपनी डाइट में ये छह टेस्ट जरूर शामिल करें। ये टेस्ट एक चुटकी नमक, थोड़ा सा नींबू का जूस या काली मिर्च का टुकड़ा भी हो सकता है।

सोने से तीन घंटा पहले खाना बंद कर दें

आयुर्वेद में रात का खाना हल्का और बिस्तर पर सोने जाने से पहले तीन घंटे पहले करने की बात कही गई है। इसके पीछे कारण है कि नींद के दौरान शरीर खाए हुए भोजन को पचाने में लग जाता है, जबकि मन दिनभर के थॉट्स, भावनाओं में उलझा रहता है। अगर आप देर से सोएंगे, तो इससे शरीर की ऊर्जा शारीरिक पाचन में बदल जाएगी, तो वहीं, शारीरिक उपचार और मन में जो विचारों का पाचन चल रहा है वह रुक जाएगा। यही वजह है कि पाचन क्रिया और नींद में यह खलल न हो उसके लिए आयुर्वेद चिकित्सा की सलाह दी जाती है। आयुर्वेद में बिस्तर पर जाने से पहले खाना खाएं और हल्का खाना खाएं।

भोजन के बीच में लें हर्बल चाय

हर्बल चाय केवल गला ही गीला नहीं करती, बल्कि एक रोग की दवा के रूप में एक मरहम की तरह काम करती है। यह शरीर को स्वस्थ रखने के साथ जीवन में खुशहाली लाती है। यह हर्बल टी पाचन आग को शांत करती है। इसके लिए भोजन के साथ केवल आधा कप चाय ले लें। इससे यह आपके लिए हर्बल नुस्खा होगा। खाने के साथ तरल पदार्थ लेना एक दवा की तरह काम करता है।

दोपहर के समय में भरपूर खाना खाएं

दिन के समय सूरज सबसे तेज होता है तब अग्नि सबसे मजबूत होती है। दोपहर में पेट भर कर खाने से शरीर की आंतरिक संरचना उसे पचाने में लग जाती है। आयुर्वेदिक आहार में कहा जाता है कि दोपहर में दिन की अंतिम डाइट को भारी रखें। ताकि वह आसानी से पच सके। दोपहर का समय मुश्किल से पचने वाले खाद्य पदार्थों को खाने का अच्छा समय है। क्योंकि इस समय खाना आसानी पच जाता है। शरीर और मन को स्वस्थ रखने के लिए आयुर्वेदिक डाइट बहुत जरूरी है।  आजकल फास्ट फूड जनरेशन में बहुत जरूरी है कि आयुर्वेदक आहार को अपनाया जाए। इससे शरीर को सभी पोषक तत्त्व मिलते हैं और संतुलित आहार भी। सही खान-पान से शरीर स्वस्थ रहता और रोगों की चपेट में आने की संभावना भी नहीं रहती।