पांचों कांग्रेस विधायकों का निलंबन रद्द, पांच दिन के बाद विधानसभा में टूटा गतिरोध

शिमला। निलंबन रद्द होने के बाद विधानसभा की कार्यवाही में भाग लेने जाते नेता विपक्ष मुकेश अग्निहोत्री व अन्य विधायक

पांच दिन के बाद विधानसभा में टूटा गतिरोध, सत्तापक्ष-विपक्ष में बनी सहमति

शकील कुरैशी — शिमला

हिमाचल विधानसभा में दोनों दलों के बीच पांच दिन से चल रहा गतिरोध शुक्रवार को समाप्त हो गया। कई दौर की वार्ताओं के बाद छठे दिन सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच आखिरकार सशर्त सहमति बन गई।  कांग्रेस के पांचों विधायकों का निलंबन निरस्त कर सदन में एक बार फिर सौहार्दपूर्ण माहौल बन गया। करीब एक बजे विपक्ष के विधायक सदन में लौट आए और निलंबन रद्द होते ही लंच के बाद पांचों विधायकों को भी सदन में प्रवेश मिल गया। पुख्ता सूचना के अनुसार दोनों पक्षों में समझौता करवाने के लिए माकपा नेता राकेश सिंघा और कांग्रेस के विधायक सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने अहम भूमिका निभाई। दोनों पक्षों की तरफ से यह दलील दी गई कि समझौता बिना शर्त के हुआ है। बावजूद इसके पुख्ता सूचना के अनुसार सत्तापक्ष ने पांचों विधायकों के निलंबन निरस्त करने की बात मान ली थी। इसके बाद ही बात आगे बढ़ी। बहरहाल अहम व वहम को त्याग कर दोनों पक्ष के सदस्यों के बीच चले रहे गतिरोध को तोड़ने के लिए विधानसभा अध्यक्ष के चैंबर में एक बैठक बुलाई गई। इस आधार पर इस गतिरोध को तोड़ने की सहमति बनी।

 बैठक में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के अलावा संसदीय कार्यमंत्री सुरेश भारद्वाज, जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह मौजूद रहे। विपक्ष की तरफ से पांच सदस्य आशा कुमारी, सुखविंदर सिंह, जगत सिंह नेगी, रामलाल ठाकुर, कर्नल धनी राम शांडिल इस बैठक में शामिल रहे। इसके अलावा माकपा विधायक राकेश सिंघा भी मौजूद थे और इस गतिरोध को तोड़ने में कामयाब हो सके। इसके बाद बजट सत्र से निलंबित किए गए पांच विधायकों नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री, हर्षवर्धन चौहान, सुदर सिंह ठाकुर, विनय कुमार और सतपाल रायजादा के निलंबन को निरस्त कर दिया गया। इस संबंध में सदन में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया। संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज ने इस संबंध में सदन में प्रस्ताव लाया। उन्होंने कहा कि सदन के नेता और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के निर्देश पर कांग्रेस के पांच विधायकों के निलंबन को रद्द करने का यह प्रस्ताव लाया गया है। नियम 319 के तहत उनके निलंबन को वापस लेते हैं। विपक्ष के विधायकों और सत्तापक्ष के मंत्रियों के बीच बातचीत हुई है और सभी ने निलंबन को निरस्त करने की बात रखी है। इसके बाद कांग्रेस विधायक आशा कुमारी ने इस प्रस्ताव को लाए जाने का स्वागत किया और सरकार का आभार जताया।

 उन्होंने कहा कि सूझबूझ से विवाद को खत्म करने का निर्णय लिया है, जिसका विपक्ष स्वागत करता है। लोकतंत्र पक्ष और विपक्ष से चलता है। प्रस्ताव पर ठाकुर रामलाल, कर्नल धनी राम शांडिल और सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी अपनी बात रखी और इस प्रस्ताव को लाए जाने पर सरकार का आभार जताया और कहा कि सदन की कार्यवाही शांतिपूर्ण ढंग से चलनी चाहिए और पक्ष और विपक्ष दोनों को इसमें सहयोग देना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा विवाद जितना बड़ा हो, समाधान संवाद से ही होता है। चर्चा में भाग लेते हुए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि पक्ष और विपक्ष में नोकझोंक होती रहती है, लेकिन विवाद को बढ़ाना भी लोकतंत्र के लिहाज से सही नहीं है। विवाद का समाधान हमेशा संवाद होता है, इसलिए पहल हुई और वार्ता सफल भी रही। लोकतंत्र में विपक्ष का सदन में होना जरूरी है। यह लोकतंत्र की खूबी है। लोकतंत्र में सभी के विचार अलग-अलग हो सकते है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि एक-दूसरे के दुश्मन हो जाएं। विधानसभा अध्यक्ष ने निलंबित विधायकों के निलंबन को निरस्त करने के लिए लाए प्रस्ताव पारित किया, जिसमें सभी ने सहमति जताई और नेता प्रतिपक्ष सहित सभी पांच विधायकों का निलंबन निरस्त किया गया।