कोरोना कितना तैयार हिमाचल

 हिमाचल में कोरोना महामारी यौवन पर है और कुछ जिलों के हालात तो बेहद नाजुक हैं। राहत की बात यह है कि महामारी को मात देने के लिए सरकार ने पुख्ता इंतजाम कर रखे हैं। बिस्तर की संख्या बढ़ा दी है, जबकि ऑक्सीजन की भी कोई कमी नहीं है। आइए इस बार के दखल में जानते हैं कोरोना के ताजा हालात…

सूत्रधारः शिमला से खेमराज शर्मा के साथ सूरत पुंडीर, नीलकांत भारद्वाज, दीपक शर्मा, जसवीर सिंह व नरेन कुमार

हिमाचल में कोरोना संक्रमण के साथ लोगों को दो साल रहते हुए हो गए हैं, लेकिन विडंबना है कि जहां पर हम एक साल पहले थे, वहीं पर दूसरे साल भी हैं। फर्क इतना है कि कोरोना की दूसरी लहर ने ज्यादा तांडव मचाया है और पहले से ज्यादा तेजी से संक्रमण हिमाचल में फैला है। राज्य का पॉजिटिव रेट पांच प्रतिशत से ज्यादा पहुंच गया है। ज्यादातर जिलों में कोरोना का सामुदायिक संक्रमण फैल चुका है। ऊना में तो करीब एक महीना पहले ही सामुदायिक संक्रमण फैल चुका है। अब जिस हिसाब से कांगड़ा, सोलन, मंडी, शिमला में मामले बढ़ना शुरू हुए हैं, उससे लग रहा है कि यहां पर भी कोरोना का सामुदायिक संक्रमण फैल चुका है। राज्य में कोरोना मामलों की रिकवरी दर 83 प्रतिशत है, जबकि मृत्यु दर 1.50 प्रतिशत है। अभी फिलहाल हिमाचल में स्थिति कंट्रोल में चली हुई है। क्योंकि अभी संक्रमण के रोजाना 2000 से ज्यादा मामले नहीं आ रहे हैं। हिमाचल के डाक्टरों की मानें तो अगर राज्य में एक सप्ताह भर लगातार 2500 से ज्यादा संक्रमित मरीज मिलना शुरू हो जाएं, तो यहां की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं पूरी तरह से चरमरा जाएगी। मरीजों को अस्पताल में बिस्तर नहीं मिलेंगे। ऑक्सीजन की भी किल्लत होना शुरू हो जाएगी। इसके अलावा दवाइयों की कमी हो जाएगी, जिससे कि यहां पर भी दिल्ली जैसे हालात बन जाएंगे। दूसरी लहर लगातार रोजाना नए रिकार्ड बनाती जा रही है।

हिमाचल में रोजाना मौतें भी रिकार्ड तोड़ हो रही हैं, नए मरीज भी रोजाना रिकार्ड तोड़ मिल रहे हैं। ये महीना तो हिमाचल में कोरोना के मामलों को देखते हुए बेहद संवेदनशीन रहा है, जबकि मौतें भी इस महीने ज्यादा हो चुकी है। इस महीने में संक्रमण की रफ्तार काफी रही है। आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो पांच से 11 अप्रैल तक राज्य में संक्रमण की बढ़ने की रफ्तार 72 प्रतिशत थी, जोकि बहुत ज्यादा है। इस सप्ताह राज्य में 45 लोगों मौत हुई थी, जो की औसतन रोजाना छह बनती है। इसके विपरीत 12 से 18 अप्रैल के बीच 75 लोगों की मौत हुई है। मामले भी 6689 आते हैं, जो कि पिछले सप्ताह से ज्यादा थे, लेकिन संक्रमण बढ़ने की दर 50 फीसदी थी।  इस सप्ताह औसतन रोजाना 11 लोगों ने संक्रमण से दम तोड़ा। अगला सप्ताह 19 से 25 अप्रैल तक आता है। इस सप्ताह राज्य में रिकार्ड 146 लोगों की मौत हुई। इस हिसाब से इस सप्ताह हिमाचल में 21 मरीजों ने रोजाना संक्रमण से दम तोड़ा है, जो कि बेहद चिंता का विषय है।

28 डेडिकेटिड कोविड हैल्थ सेंटर

हिमाचल में विभिन्न जिलों में 28 डेडिकेटिड कोविड हैल्थ सेंटर (डीसीएचसी) कोविड मरीजों के लिए तैयार किए गए हैं। इनमें मेडिकल कॉलेज समेत जोनल अस्पताल, आयुर्वेदिक  अस्पताल और अन्य प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है। इन कोविड हैल्थ सेंटर में 1660 बिस्तर कोविड मरीजों के लिए उपलब्ध करवाए गए हैं, जिसमें से आधे भरे हुए हैं। हिमाचल में कोविड मरीजों के लिए 5000 बिस्तरों की संख्या की जाएगी, जिसमें कोविड मरीजों का ही उपचार किया जाएगा। शिमला के आईजीएमसी और डीडीयू शिमला में काफी संख्या में मरीज उपचाराधीन हैं।

अस्पतालों में 865 मरीज भर्ती

राज्य भर में बात करें तो 865 के करीब मरीज अस्पतालों में भर्ती हैं। डीडीयू में 90 फीसद बेड फुल है। आईजीएमसी शिमला में भी 90 प्रतिशत ऑक्यूपेंसी है, जबकि हमीरपुर का आयुर्वेदिक अस्पताल बिल्कुल फुल हैं, यहां पर 60 बिस्तरों की सुविधा रखी गई है। सभी के सभी बिस्तर फुल है, जबकि हमीरपुर में एक्टिव मरीजों की संख्या भी 1000 से ज्यादा हो गई है।

2344 लोगों पर एक डाक्टर

हिमाचल की इस समय आबादी 70 लाख के करीब है। वर्तमान में हिमाचल में 3000 के करीब डाक्टर कार्यरत हैं। ऐसे में हिमाचल में 2344 लोगों पर एक डॉक्टर है, जबकि डब्ल्यूएचओ का कहना है कि प्रति एक हजार लोगों पर एक डॉक्टर होना अनिवार्य है। पैरामेडिकल स्टाफ की संख्या भी राज्य भर में 10 से 12 हजार है।

2,750 बिस्तर

सरकारी अस्पतालों में कोरोना संक्रमितों के लिए 2,750 बेड हैं,  जो कि रिजर्व में रखे गए हैं, इसमें 800 बेड ऑक्सीजन की सुविधा के लिए उपलब्ध हैं, जबकि 500 वेंटिलेटर हैं, इसके अलावा अभी हाल ही में कुछ दिन पहले केंद्र सरकार ने 250 वेंटिलेटर हिमाचल से वापस मंगवाए लिए थे, नहीं तो हिमाचल में वेंटिलेटर बिस्तर की संख्या 750 हो जानी थी।

मरीजों को दी जा रही यह दवाई

वर्तमान में कोविड मरीजों के लिए जींक, आइबर मेक्सीन, विटामिन-सी की दवा दी जा रही है। इसके अलावा अन्य आम दवाइयां दी जाती है जोकि आम सर्दी, जुखाम के लिए मरीजों को दी जाती है। ज्यादा गंभीर मरीजों के लिए रेमडेसिविर और डैक्सामीटा जोन भी कोविड के मरीजों को दी जाती है।

विराफीन इंजेक्शन को मंजूरी

विराफीन इंजेक्शन को भी कोविड मरीजों के उपचार के लिए मंजूरी दी गई है, लेकिन अभी तक यह बाजार में उपलब्ध नहीं हो पाया है। डाक्टरों के अनुसार इस इंजेक्शन को मामूली लक्ष्ण वाले मरीजों को दिया जा सकता है, इससे उन्हें ऑक्सीजन की किल्लत भी नहीं आएगी।

गंभीर मरीजों को रेमडेसिविर

डाक्टरों के अनुसार एक मरीज को छह डोज रेमडेसिविर की दी जाती है। यह उन गंभीर मरीजों को दी जाती है, जिनकी स्थिति काफी खराब हो जाती है। मरीज को पहला डोज 200 एमजी का दिया जाता है। इसके बाद जो भी पांच डोज दिए जाते हैं, वे 100-100 एमजी के होते हैं।

सप्ताह का कोविड मीटर

दिनांक     सैंपल      मामले     मौत        ठीक

19 अप्रैल 5103      1695      13         593

20 अप्रैल 9071      1340      16         1078

21 अप्रैल  7615      1692      17         907

22 अप्रैल  7799      1774      18         689

23 अप्रैल  10079    1189      26         772

24 अप्रैल  9990     2073      24         877

25 अप्रैल  6483      1363      32         1161

कोविड केयर सेंटर की स्थिति

जिला      सेंटर       मरीज      ऑक्यूपेंसी

बिलासपुर 106       27         25.47

चंबा       90         00         000

हमीरपुर   150       00         000

कांगड़ा    40         25         62.50

किन्नौर    26         02         7.69

कुल्लू      12         00         00

स्पीति      60         27         45.00

मंडी       30         15         50.00

शिमला    44         28         63.64

सिरमौर    182        00         000

सोलन     577        10         1.73

ऊना       70         20         28.57

स्वास्थ्य संस्थान

अस्पताल              संख्या

जोनल अस्पताल      03

रीजनल अस्पताल    09

टीचिंग इंस्टीच्यूट      08

सिविल, रैफरल अस्पताल 45

ईएसआई अस्पताल   01

ईएसआई डिस्पेंसरी   11

कम्युनिटी हैल्थ सेंटर  80

प्राईमरी हैल्थ सेंटर    497

सब सेंटर  2068

राज्य में डेडिकेटिड कोविड हैल्थ सेंटर

जिला     संस्थान    बिस्तर     एडमिट   ऑक्यूपेंसी

बिलासपुर सीएच घुमारवीं        29         19         65.5

बिलासपुर आयुर्वेद अस्पताल    25         00         000

बिलासपुर छात्र हॉस्टल, कालेज 50         00         000

चंबा       डलहौजी अस्पताल   50         23         46.0

चंबा       चंबा अस्पताल        45         14         31.1

हमीरपुर   आयुर्वेद अस्पताल    60         60         100

हमीरपुर   मेडिकल कालेज      30         00         00

कांगड़ा    धर्मशाला अस्पताल   135        132        97.8

कांगड़ा    टांडा मेडिकल कालेज108       89         82.4

किन्नौर    आयुर्वेदिक अस्पताल 18         02         11.1

कुल्लू      आरएच कुल्लू        100       30         30.0

मंडी       नेरचौक अस्पताल    118        56         47.5

मंडी       रत्ती अस्पताल         25         19         76.0

मंडी       बीबीएमबी अस्पताल 40         28         70.0

मंडी       एमसीएच सुंदरनगर   50         00         000

मंडी       मंडी अस्पताल        100       00         000

शिमला    डीडीयू शिमला        115        102       88.7

शिमला    सीएच रोहड़ू           90         14         15.6

शिमला    रामपुर अस्पताल      20         08         40.0

शिमला    आईजीएमसी          147        132        89.8

शिमला    आरएएच शिमला     30         00         000

सिरमौर    सीएच सराहन         32         24         75.0

सिरमौर    नाहन मेडिकल        16         08         50.0

सोलन     कुमारहट्टी              40         40         100.0

सोलन     ईएसआई अस्पताल  46         20         43.5

सोलन     नालागढ़               45         04         8.9

ऊना       सीएच हरोली          45         41         91.1

ऊना       पालकवाह             51         00         00

राज्य में तैयार हो रही 57.58 मीट्रिक टन ऑक्सीजन, खपत 18.63 मीट्रिक टन

प्रदेश में आक्सीजन की वर्तमान में किसी भी तरह की कमी नहीं है। राज्य में 57.58 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन किया जा रहा है। प्रदेश के आठ अलग-अलग स्थानों में ऑक्सीजन तैयार की जा रही है। सभी इकाइयों की अलग-अलग प्रोडक्शन क्षमता है। इन सभी इकाइयों में 300 से 900 बड़े सिलेंडर भरे जा रहे हैं। इसके अलावा अस्पतालों में सात पीएसए तैयारियों पर है, इनमें से चार कमीशन हो चुके हैं, टेस्टिंग बाकी है। इन सभी के शुरू हो जाने से राज्य में 9.75 मीट्रिक टन अतिरिक्त उत्पादन होना शुरू हो जाएगा, जिससे राज्य में ऑक्सीजन की किल्लत जरा भी नहीं रहेगी। जिस तरह से दिल्ली में इस समय हालात बने हुए हैं।

यहां तैयार हो रही ऑक्सीजन

-बद्दी में तीन कंपनियां एयर ऑक्सीजन तैयार कर रही है। इसमें से दो बरोटीवाला में कंपनिया हैं, जबकि एक बद्दी में हैं। बद्दी में 200 बड़े सिलेंडर हर एक घंटे में भरे जाते हैं। बरोटीवाला में भी 400 के करीब बड़े सिलेंडर हर घंटे में भरे जाते हैं।

-मंडी जिला में भी तीन निजी कंपनियां ऑक्सीजन तैयार करती हैं। यहां पर रोजाना 700 के करीब बड़े ऑक्सीजन सिलेंडर भरे जा रहे हैं।

-ऊना के गगरेट में भी एक औद्योगिक इकाई ऑक्सीजन प्लांट तैयार कर रही है। यहां पर रोजाना 400 बड़े सिलेंडर भरे जाते हैं। ये सिलेंडर भी इन दिनों अस्पतालों को भी मुहैया करवाए जा रहे हैं। यहां पर भी रोजाना ऑक्सीजन तैयार की जा रही है।

-सिरमौर के पौंटा साहिब में भी एक निजी इकाई ऑक्सीजन प्रोडक्शन कर रही है। करीब 900 सिलेंडर यहां पर रोजाना भरे जाते हैं। इनमें से भी कई अस्पतालों को भेजे जा रहे हैं, जबकि कई औद्योगिक इकाइयों को दी जा रही है।

-बद्दी में एक निजी औद्योगिक इकाई लिक्विड ऑक्सीजन भी तैयार कर रही है। यहां पर एक ही प्लांट है जो इस तरह की लिक्विड ऑक्सीजन तैयार कर रहा है। ऐसे में इस ऑक्सीजन को भी जरूरत पड़ने पर मरीजों के लिए उपयोग में लाया जा सकता है। फिलहाल अभी इसकी जरूरत हिमाचल को नहीं है।

प्रदेश में सात प्लांट को मिली है मंजूरी

जब कोविड का पिछला संकट हिमाचल पर पड़ा था, तो यहां पर सात पीएसए ऑक्सीजन प्लांट की मंजूरी मिली थी। ये सभी अस्पतालों में तैयार किए जाने थे। इनमें से चार प्लांट कमीशन हो चुके हैं। यहां पर अब टेस्टिंग की जानी है।  इसके अलाव बचे हुए तीन पीएसए ऑक्सीजन प्लांट में मशीनों को इंस्टाल करने काम चला हुआ है। इन सभी प्लांट के यहां पर शुरू हो जाने से राज्य में रोजाना 9.75 मिट्रिक टन ऑक्सीजन का अतिरिक्त उत्पादन होगा, जिससे ऑक्सीजन सीधे अस्पतालों में लगाए गए बिस्तरों को मिलेगी।

टांडा में कोविड मरीजों के लिए 108 बिस्तर

 50 वेंटिलिटर, 60 आईसीयू बिस्तर, सभी के लिए ऑक्सीजन की सुविधा

कोरोना से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग कांगड़ा और डा. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कालेज टांडा भी योजना बना रहा है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिला के विभिन्न अस्पतालों में कोविड केयर सेंटर बनाए गए हैं, जिनमें 316 बिस्तर की व्यवस्था है। धर्मशाला व टांडा मेडिकल कालेज में 166 बिस्तर की व्यवस्था है। टीएमसी में मरीजों के लिए कुल 823 बेड की व्यवस्था है, जिनमें कोरोना मरीजों के लिए 108 विशेष बेड की व्यवस्था रखी गई है। इनमें 64 मेडिकल का्रलेज में हैं और सुपरस्पेशियलिटी वार्ड में 44 बिस्तर की व्यवस्था है, जबकि 50 से ज्यादा  वेटिलेंटर कोविड मरीजों के लिए रखे हैं। इसके साथ ही आईसीयू में 44 और 16 बेड अस्पताल में रखे गए हैं। टांडा में ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा में व्यवस्था की गई है। सभी 108 बेड में ऑक्सीजन की सूचारू रूप से सप्लाई प्रदान की जा रही है। कोविड केयर सेंटर डाढ में एक सौ बिस्तरों की व्यवस्था है और यहां अभी 60 के करीब मरीज हैं। सेना अस्पताल योल व पालमपुर में 50 मरीजों को सुविधा देने की व्यवस्था है, यहां अभी 38 मरीज रखे गए हैं। टीएमसी के प्रिंसीपल डा. भानु अवस्थी का कहना है कि हिमाचल के अधिकतर कोरोना मरीजों का जिम्मा टांडा सही प्रकार से संभाल रहा है और आगामी चुनौतियों के लिए भी पूरी तरह से तैयार है।

नाहन मेडिकल कालेज में संक्रमितों के लिए 20 बेड

सिरमौर जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से लड़ने के लिए तैयार है। कोरोना से लड़ाई को लेकर पुख्ता इंतजाम किए हुए हैं। डा. वाईएस परमार मेडिकल कालेज एवं अस्पताल नाहन में कुल 283 बैड हैं। इनमें से 20 बेड कोरोना संक्रमित लोगों के लिए आइसोलेशन वार्ड में रखे गए हैं। कोरोना के अलावा अन्य गंभीर मरीजों के लिए मेडिकल कालेज नाहन में फिलहाल 25 वेंटिलेटर की सुविधा है। कालेज में केवल सीसीयू की व्यवस्था की गई है, जिनमें फिलहाल आठ बेड रखे गए हैं। मेडिकल कालेज में 20 मरीजों की क्षमता का आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है, जबकि सराहां में 32 बेड की सुविधा रखी गई है। इसके अलावा पांवटा साहिब के रामपुरघाट में भी कोविड सेंटर की व्यवस्था की गई है, जिसमें 82 बेड की सुविधा है। कालेज के प्रिंसीपल डा. एनके महेंदु्र ने बताया कि  मेडिकल कालेज में ऑक्सीजन व अन्य सुविधाएं पर्याप्त मात्रा में हैं।

चंबा में कोरोना मरीजों के लिए 45 बिस्तर

पंडित जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कालेज चंबा में कोरोना मरीजों के उपचार हेतु जीवनरक्षक तमाम सुविधाओं की उपलब्धता है। मेडिकल कालेज में आक्सीजन व वेंटिलेटर और आईसीयू बेड के अलावा डीसीएच और मेडिकल कालेज में 45 बेड भी उपलब्ध हैं।  मेडिकल कालेज के विभिन्न डिपार्टमेंट में रोजाना औसतन जिला के विभिन्न हिस्सों से आठ सौ से एक हजार के करीब मरीज उपचार के लिए पहुंचते हैं। मेडिकल कालेज में करीब 0.93 मीट्रिक टन आक्सीजन उपलब्ध है। कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए मेडिकल कालेज के सारी वार्ड में पंद्रह और डीसीएच में तीस बेड की व्यवस्था की गई है। आईसीयू वार्ड में छह बेड रखे गए हैं। मेडिकल कालेज में अब तक दस कोरोना मरीजों की मौत हुई है। कालेज के चिकित्सा अधीक्षक डा. मोहन सिंह का कहना है कि कोरोना के दौर में लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं दी जा रही हैं।

मेडिकल कालेज हमीरपुर में 30 वेंटीलेटर, 151 ऑक्सीजन सिलेंडर

हमीरपुर स्थित डा. राधाकृष्णन मेडिकल कालेज एवं अस्पताल में कोविड-19 को लेकर पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। मेडिकल कालेज में सामान्य बीमारियों से पीडि़त लोगों के लिए 350 बिस्तरों की व्यवस्था है, जबकि कोरोना मरीजों के लिए भी आइसोलेशन में 10 बेड हैं। मेडिकल कालेज के पास 10 छोटे व 20 बड़े वेंटिलेटर हैं। इसके साथ ही 43 बड़े तथा 108 छोटे ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध हैं। इसके अलावा दो आईसीयू में 16 बेड की व्यवस्था भी की गई है। मेडिकल कालेज में कोविड ड्यूटी में लगे स्टाफ की बात की जाए तो छह डाक्टरों सहित 24 लोगों की टीम दिन-रात कोविड मरीजों को उपचार की सुविधा प्रदान कर रही है।

 मेडिकल कालेज बनने के बाद यहां पर विशेषज्ञ चिकित्सकों से उपचार की सुविधा लेने के लिए रोजाना 1000 से लेकर 1500 मरीज पहुंचते हैं। सप्ताह के शुरुआती दो दिनों में यह आंकड़ा 2000 से 2500 के बीच भी पहुंच जाता है। मेडिकल सुपरिटेंडेंट आरकेजीएमसी डां रमेश चौहान का कहना है कि स्वास्थ्य सुविधाओं को मद्देनजर सभी पुख्ता प्रबंध अस्पताल में किए गए हैं।

नेरचौक में संक्रमितों के लिए बेहतर सुविधा

160 बेड ऑक्सीजन के साथ अटैच, 30 वेंटिलेटर की भी व्यवस्था

श्री लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कालेज एवं अस्पताल नेरचौक को दोबारा से डेडिकेटेड कोविड केयर अस्पताल (डीसीसीएच) बना दिया है। यहां 500 के करीब बिस्तर की व्यवस्था की गई है, जिसमें से 160 बिस्तरों ऑक्सीजन युक्त है। साथ ही 30 वेंटीलेटर, आईसीयू में 30 ऑक्सीजनयुक्त बिस्तर की व्यवस्था है। इसके अलावा 20 से 22 के करीब डाक्टरों की फौज तैनात की गई है, जो कि छह-छह घंटों के बाद नियमित रूप से रोस्टर के हिसाब से सेवाएं दे रहे हैं। उसके साथ ही 250 से ज्यादा पैरा मेडिकल स्टाफ सहित अन्य कर्मी ड्यूटी दे रहे हैं। कोविड अस्तपाल होने की सूरत में यहां सामान्य मरीजों को दाखिल नहीं किया जा रहा है। साथ एचओडी, प्रोफेसर, विशेषज्ञ चिकित्सक ऑन कॉल भी वार्डो में कोविड 19 के संक्रमित मरीजों को सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।

अब तक 163 मरीजों की कोरोना संक्रमण के चलते मौत हो चुकी है। जिला के सात स्थानों पर बनाए गए कोविड देखभाल केंद्रों में 300 बिस्तर की व्यवस्था है। अभी पंचायती राज विभाग के सदयाणा केंद्र, नागरिक अस्पताल रत्ती, मातृ शिशु देखभाल अस्पताल सुंदरनगर व मंडी को डीसीएचसी का दर्जा दिया गया है। तीनों केंद्रों पर 175 बेड की व्यवस्था की गई है। कालेज के प्रिंसीपल डा. आरसी ठाकुर का कहना है कि कोरोना संक्रमितों के उपचार की मेडिकल कालेज में पूरी व्यवस्था कर ली गई है। पिछली गल्तियों से सबक लेकर कई सुधार किए गए हैं।