व्रतधारी बीवी के सानिध्य में

अशोक गौतम

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वैसे उसने अपने इन व्रतों के लिए महीना पहले ही चीखना चिल्लाना शुरू कर दिया था। महीना पहले ही उसने अपनी व्रतधारी सहेलियों से व्रत में व्रत के लिए उपभोग हेतु बाजार में क्या क्या नया आया है, उनसे यह पूछ इसकी लिस्ट बनानी, बतानी शुरू कर दी थी, घर के सारे काम त्याग। तब नित उसके व्रत के दिनों में लेने वाले फलाहार की लिस्ट रिवाइज्ड होती देख मेरे हाथ पांव फिर फूलने लग गए थे। काश!  मेरे घर सब आता, पर कम से कम ये व्रत न आते।  मतलब, अब आठ दिनों के व्रतों में आठ हफ्ते जितना बजट भीतर। और ऊपर से बात बात पर रोना ये कि इतने व्रत रखने के बाद भी मैं मोटी होती जा रही हूं। हे श्रीमती जी! अब आपको कौन समझाने का दुस्साहस तो छोड़ो, साहस करे कि ऐसे में मोटी नहीं होंगी तो क्या श्रीदेवी बनोगी? कल उसने अपने हफ्ता भर चलने वाले व्रतों की  फाइनल लिस्ट देते मुझसे कहा, ‘देखो जी! व्रत का सामान लाने में कतई भी कंजूसी मत करना। न ही हल्का सामान लाना। याद रखना, जैसा इस जन्म में मुझे खिलाओगे वैसा ही तुम्हें अगले जन्म में खाने को मिलेगा। इसलिए गलती से भी मेरे इस जन्म के बदले अपना परलोक मत खराब करना। मेरे व्रत में मेरे लिए सड़े सस्ते फ्रूट लाओगे तो अगले जन्म में तुम्हें सड़े सस्ते फ्रूट ही खाने को मिलेंगे। अगर जो मेरे लिए मेरे व्रत में ग्रेड काजू बादाम लाओगे तो तुम्हें अगले जन्म में डबल, ग्रेड काजू बादाम मिलेंगे। अगले जन्म में जीव को कुछ मिले या न, पर उसे इस जन्म में अपनी बीवी को खिलाया  जरूर मिलता है।

इसलिए ये लो फिलहाल फाइनल व्रत के सामान की लिस्ट और…।’ व्रत की कामना करती बीवी ने मुझे व्रत में खाने वाली सामग्री की लिस्ट थमाई तो लिस्ट की लंबाई देख ही एक बार फिर मेरे होश उड़े। आंखें बंद कर ही लिस्ट देखी तो…दो किलो काजू, एक किलो बादाम, एक किलो साबू दाना, हर रोज एक दर्जन केले, हर रोज के लिए एक किलो सेब, हर रोज के लिए शाम को व्रत तोड़ने पर आधा किलो कुट्टू का आटा पुडि़यों के लिए। एक किलो दूध रात को व्रत तोड़ने के लिए खीर के लिए…और भी न जाने क्या क्या व्रत के नाम पर। मतलब, अबके चार महीने का रोकड़ा आठ दिनों के व्रत पर स्वाहा। तब मैंने अपनी व्रतधारी बीवी को समझाने की नाकाम कोशिश करते कहा, ‘हे सदेह अपने आराध्य के चरणों में स्थापित होने वाली मेरी आदरणीय श्रीमती! देखो! अब तुम्हारी उम्र व्रत लेने की नहीं रही। स्वस्थ रहने के लिए इतना खाने की एक उम्र होती है। सारा दिन व्रत करके जो तुम्हें कमजोरी आ गई तो? परलोक के सुधार के नाम पर इस जीवन में ही कहीं अस्पताल न जाना पड़ा तो?’ ‘अस्पताल जाएं वे जो नास्तिक हैं। व्रतों पर जिनका कतई विश्वास नहीं।  मैं क्यों अस्पताल जाने वाली? देखो जी! मेरा तो तुम जब देखो, मजाक उड़ाते ही रहते हो, पर मेरे व्रतों का मजाक न उड़ाया करो। मेरे व्रतों की वजह से ही तो तुम्हारी नाके पर बिन अप्रोच ड्यूटी लगी है। मैं व्रत न रखती तो सड़कों पर चिलचिलाती धूप में,  हाड़ कड़कड़ाती सर्दी में सौ सौ, पचास पचास, इसको उसको कानून के नाम पर डराते इकट्ठे करते नाक कटवाते फिरते! ये तो मेरे व्रतों का ही परताप है जो…शान से नाके पर सीना चौड़ा कर हजार ले रहे हो। और हां! बाजार में व्रत के लिए कुछ नया दिखे तो उसे जरूर लाना।’ अब आप ही कहो, ऐसी व्रतपरायण बीवी से कभी गलती से भी पंगा लिया जा सकता है क्या? परलोक तो छोडि़ए, ये लोक बिगड़ते पल न लगे।