पेंपा सेरिंग तिब्बत के नए प्रधानमंत्री, लोकतांत्रिक तरीके से चुने निर्वासित तिब्बत सरकार के पीएम

लोकतांत्रिक तरीके से चुने निर्वासित तिब्बत सरकार के पीएम, प्रतिद्वंद्वी केलसंग दोरजे को हरा हासिल की कुर्सी

दिव्य हिमाचल ब्यूरो — धर्मशाला

निर्वासित तिब्बती सरकार के नए प्रधानमंत्री का ताज पेंपा सेरिंग के सिर सजा है। पेंपा सेरिंग ने अपने प्रतिद्वंदी केलसंग दोरजे को हराकर प्रधानमंत्री पद की कुर्सी पर कब्जा किया है। शुक्रवार को धर्मशाला स्थित निर्वासित तिब्बती सरकार के मुख्यालय में घोषित किए गए परिणाम में पेंपा सेरिंग को विजेता घोषित किया गया। पेंपा सेरिंग ने 34324 मत हासिल कर अपने प्रतिद्वंदी केसलंग दोरजे को 5417 मतों के बड़े अंतर से मात दी है। केलसंग दोरजे को 28907 मत हासिल हुए। पेंपा सेरिंग 17वीं तिब्बती संसद के तीसरे प्रधानमंत्री चुने गए हैं। वहीं  निर्वासित तिब्बती संसद के लिए चुनाव लड़ने वाले 45 सदस्यों का भी परिणाम घोषित किया गया। प्रधानमंत्री के साथ 45 संसद सदस्यों को भी चुना गया है। मुख्य चुनाव आयुक्त वांगदू सेरिंग ने ऑनलाइन प्रेस वार्ता में प्रधानमंत्री सहित 45 संसद सदस्यों के परिणाम की घोषणा की। वागंदू सेरिंग ने बताया कि इस चुनाव के अंतिम नतीजों की घोषणा में पेंपा सेरिंग ने 34324 मत हासिल कर अपने प्रतिद्वंदी केसलंग दोरजे को 5417 मतों के अंतर से हराया है।

 केलसंग दोरजे को 28907 मत हासिल हुए। इसके अलावा निर्वासित तिब्बती संसद के 45 सदस्यों के परिणाम भी घोषित किए गए हैं। उन्होंने बताया कि शुक्रवार को घोषित चुनाव परिणाम के बाद अब 20 मई को चुने गए प्रतिनिधियों की शपथ होगी। गौरतलब है कि बीते 11 अप्रैल को हुए दो उम्मीदवारों के लिए हुए अंतिम चरण के मतदान के बाद प्रारंभिक नतीजों में प्रधानमंत्री पद के लिए पेंपा सेरिंग अपने प्रतिद्वंदी रहे केलसंग दोरजे से काफी आगे रहे थे। ऐसे में पेंपा सेरिंग का प्रधानमंत्री चुना जाना तय माना जा रहा था। पेंपा सेरिंगे ने दोनों ही चरणों में अपनी बढ़त बनाए रखी थी। लोकतांत्रिक तरीके से तीसरे प्रधानमंत्री चुने गए पेंपा सेंिरग निर्वासित तिब्बती संसद के अध्यक्ष भी रहे हैं। इससे पूर्व 2011 से लेकर 2021 तक दो बार लगातार डा. लोबसांग सांग्ये निर्वासित तिब्बती सरकार के प्रधानमंत्री रहे हैं।

फ्रीडम मूवमेंट से राजनीति में प्रवेश

निर्वासित तिब्बती सरकार के नए चुने गए प्रधानमंत्री पेंपा सेरिंग का जन्म कर्नाटक के बेलाकूपी में वर्ष 1967 में हुआ। उन्होंने सेंटर स्कूल ऑफ तिबेतन बेलाकूपी से जमा दो की पढ़ाई की। इसके बाद मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज चेन्नई से अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री हासिल की। विद्यार्थी काल में ही तिब्बतियन फ्रीडम मूवमेंट के महासचिव रहे। वह 2001 से 2008 तक तिब्बतियन पार्लियामेंट एंड रिसर्च सेंटर नई दिल्ली के निदेशक रहे। वह 1996, 2001, 2006 और 2011 में सांसद बने। वर्ष 2011 में उन्हें निर्वासित तिब्बती संसद के अध्यक्ष पद का दायित्व सौंपा गया।