उच्च शिक्षा विभाग ने जारी किए आदेश, स्कूलों में प्रिंसीपल संग आएगा जरूरी स्टाफ

उच्च शिक्षा विभाग ने जारी किए आदेश, निपटाई जाएं गैर शिक्षण पेंडिग फाइलें

प्रतिमा चौहान — शिमला

कोविड की दूसरी लहर के बीच एक बार फिर से स्कूलों में प्रिसीपल समेत जरूरी स्टॉफ आएगा। सोमवार को उच्च शिक्षा निदेशालय ने इस बाबत आदेश जारी किए हैं। आदेशों में प्रिसीपल को अधिकृत किया गया है कि वह रिजल्ट बनाने के लिए तैयार की गई टैब्यूलेशन कमेटी में से शिक्षकों की ड्यूटियां लगाए। इसके साथ स्कूल की अन्य फाइलों को निपटाने के लिए भी शिक्षकोंं की ड्यूटी लगाने के आदेश विभाग की ओर से जारी किए गए हैं। उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक डा. अमरजीत शर्मा ने कहा है कि पिछले काफी समय से मिड-डे मील सहित कई अन्य गैर शिक्षण कार्यों की फाइलें पेंडिग पड़ी हैं। ऐसे में इन फाइलों को समय पर निपटाया जाए। बता दें कि स्कूल बंद होने की वजह से विभाग के पास अभी तक  खर्च किए गए बजट की रिपोर्ट, एसीआर, व रूटीन में भेजी जाने वाली कोई भी रिपोर्ट नहीं पहुंची है। इससे स्कूलों का ब्यौरा राज्य सरकार को भेजना भी शिक्षा विभाग के लिए मुश्किल हो रहा है।

 इसी वजह से शिक्षा विभाग ने अब पिं्रसीपल को अधिकृत कर दिया है कि अगर कोई पेंडिंग कार्य है, तो उसके लिए शिक्षक व गैर शिक्षकों की ड्यूटियां लगाई जाएं। इसके साथ ही प्रिंसीपल को यह भी कहा है कि बेवजह किसी भी स्टाफ को न बुलाया जाए। अगर कोई शिक्षक या गैर शिक्षक स्वास्थ्य से संबधित हवाला देता है, तो उसे बुलाने के लिए दबाव नहीं बनाया जा सकता। विभाग ने आदेश दिए है कि स्कूल प्रबंधन को समय-समय पर परिसर को सेनेटाइज करना होगा। इसके साथ ही विभाग को रिपोर्ट भेजनी होगी। स्कूल प्रिंसीपल को ऑनलाइन स्टडी की रिपोर्ट के साथ ही छात्रों की हाजिरी हो रही है, इस पर भी ब्यौरा भेजना होगा। इसके साथ ही कितने छात्रों के पास अब भी मोबाइल फोन नहीं हैं, यह भी बताना होगा। विभाग ने प्रिंसीपल को साफ किया है कि कोविड की इस स्थिति में ऑनलाइन स्टडी के अलावा और कोई रास्ता नहीं है। ऐसे में छात्रों को ऑनलाइन- ऑफलाइन स्टडी मटीरियल मुहैया करवाया जाएं।

छात्रों के लिए अभी नहीं खुलेंगे स्कूल

छात्रों के लिए अभी शिक्षा विभाग स्कूल खोलने के हक में नहीं है। इस साल भी फिलहाल अगस्त तक छात्रों को बुलाने की तैयारी विभाग की नहीं है। यही वजह है कि ऑनलाइन स्टडी को और मजबूत बनाने के लिए आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को मोबाइल पहुंचाने तक की मुहिम शुरू हो गई है।