तीन करोड़ के जख्म दे गए गुलाब के फूल

प्रदेश में पहला पॉलीहाउस लगाने वाले बिलासपुर के डा. मुश्ताक मोहम्मद को झेलना पड़ा घाटा

अजय ठाकुर — गगरेट

फूलों को नजदीक से जानने के लिए डा. वाईएस परमार वानिकी विश्वविद्यालय नौणी से लोरीकल्चर में पीएचडी करने वाले बिलासपुर के डा. मुश्ताक मोहम्मद को फूल इतने भाए कि फूलों से दोस्ती के चक्कर में उन्होंने एक समय तो अपना करियर तक दांव पर लगा दिया था। असिस्टेंट साइंटिस्ट की नौकरी छोड़ कर एक निजी कंपनी के माध्यम से हालेंड व इजराइल गए, तो वहां से पॉलीहाउस की ऐसी तकनीक लेकर आए कि पूरे हिमाचल को इससे वाकिफ करवा दिया।

प्रदेश में सबसे पहला पॉलीहाउस लगाने वाले डा. मुश्ताक मोहम्मद ने फूलों की खेती को अपने रोजगार का जरिया बनाया, तो छह करोड़ रुपए तक की सालाना टर्नओवर के साथ इस फील्ड में छा गए, लेकिन कोरोना काल में फूलों की खेती के हुए बुरे हश्र से उन्हें न सिर्फ तीन करोड़ रुपए का घाटा हुआ, वहीं प्रदेश के करीब दस हजार फूल उत्पादक किसानों को कोराना करीब दो सौ करोड़ रुपए का झटका दे गया। प्रदेश सरकार ने भी फूल उत्पादक किसानों की सुध न ली, तो अब फूल उत्पादक किसान पॉलीहाउस में सब्जी उत्पादन कर बड़ी मुश्किल से अपने खर्चे निकाल रहे हैं। प्रदेश को पालीहाउस का कंसेप्ट देने वाले डा. मुश्ताक मुहम्मद ने कुछ साल पहले गगरेट के पांवड़ा गांव के समीप जमीन खरीद कर यहां पॉलीहाउस का ही एक गांव बसा दिया। यहां उन्होंने करीब बाइस पॉलीहाउस का निर्माण किया, जिसमें फूलों की खेती शुरू की। यही नहीं, बल्कि इन पॉलीहाउस में करीब डेढ़ सौ लोगों को रोजगार भी उपलब्ध करवाया।

मेहनत रंग लाई तो यहां खिले फूल देश-विदेश में अपनी महक बिखेरने लगे। इन पॉलीहाउस का प्रबंधन देख रहे डा. गुरुंग बताते हैं कि पिछले साल फूलों की फसल को बाजार भेजने की तैयारी ही कर रहे थे कि कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन ने पुष्प उद्योग को भी लॉक कर डाला और करीब तीन करोड़ रुपए का घाटा सहन करना पड़ा। पॉलीहाउस में लगाया गया गुलाब का पौधा आठ साल तक फसल देता है, लेकिन गुलाब के पौधे उखाड़ने पड़े। जिला बागबानी अधिकारी डा. अशोक धीमान ने माना कि पुष्प उत्पादक किसानों को कोरोना काल में काफी घाटा सहन करना पड़ा है। फूलों के लिए बाजार खुलते ही किसानों को फूलों की खेती के लिए प्रेरित किया जाएगा।    (एचडीएम)