ऑटो सेक्टर के लिए सरकार ने खोला खजाना, टेलीकॉम मेंं चार साल कर्ज चुकाने से छूट

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने टेलीकॉम सेक्टर में ऑटोमेटिक रूट से 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को मंजूरी दे दी है। सरकार ने भारी वित्तीय बोझ से दबे दूरसंचार क्षेत्र को चौथी और पांचवीं पीढ़ी की दूरसंचार सेवाओं के लिए तैयार करने के उद्देश्य से आज नौ बड़े ढांचागत सुधार करने का निर्णय लिया, जिसमें टेलीकॉम कंपनियों के सकल समायोजित राजस्व (एजीआर) की परिभाषा को तर्कसंगत बनाने, दूरसंचार कंपनियों को सांविधिक बकायों के भुगतान के लिए चार वर्ष की छूट के साथ दस वर्ष का समय देने और अब स्पेक्ट्रम का आवंटन 20 वर्ष के बजाय 30 वर्षों के लिए करना शामिल है।

कैबिनेट की बैठक की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि केंद्र सरकार ने ऑटो सेक्टर के लिए 25,938 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। इसके तहत इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन, हाइड्रोजन फ्यूल व्हीकल उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। वह 7.60 लाख लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है। इस स्कीम के आने से विदेश से आयात में गिरावट होगी। ऑटो कंपोनेंट मेक इन इंडिया के तहत देश में बनाए जा सकेंगे। अनुराग ठाकुर ने बताया कि चयनित चैंपियन ऑटो कंपनियों को कम से कम दो हजार करोड़ रुपए का निवेश करना होगा।

नए निवेशकों को 500 करोड़ रुपए का निवेश करना जरूरी है। दूसरी ओर टेलीकॉम सेक्टर में एजीआर को तर्कसंगत बनाया जाएगा। इससे गैर टेलीकॉम राजस्व को अलग किया जायेगा। इसके साथ ही दूरसंचार कंपनियों को 4जी और 5जी जैसी प्रौद्योगिकियों में निवेश करने और इसके लिए टावर आदि लगाने में मदद के उद्देश्य से विभिन्न प्रकार के शुल्कों और स्पेक्ट्रम चार्ज आदि के भुगतान में चार वर्षों की राहत देने का निर्णय लिया गया है। हालांकि इसके लिए कंपनियों को एमसीएलआर पर दो प्रतिशत अधिक ब्याज का भुगतान करना पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि टेलीकॉम लाइसेंस शुल्कों, स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क और अन्य सभी शुल्कों पर लगने वाले भारी ब्याज, जुर्माना और जुर्माने पर ब्याज को भी तर्कसंगत बनाने का निर्णय लिया है। पहले इसकी गणना मासिक चक्रवृद्धि ब्याज के आधार पर होती थी, जिसे अब वार्षिक करने का निर्णय लिया गया है। इसके अतिरिक्त जुर्माने को पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया है, लेकिन ये सभी निर्णय पूर्ववर्ती तिथि से प्रभावी नहीं होंगे। ये सभी वर्तमान तिथि से मान्य होंगे। उन्होंने कहा कि अब सभी तरह के स्पेक्ट्रम शेयरिंग की अनुमति होगी और इसके लिए कोई शुल्क नहीं लगेगा। इसके साथ ही अब से स्पेक्ट्रम का आवंटन 20 वर्षों के बजाय 30 वर्षों के लिए होगा और 10 वर्षों की लॉकइन अवधि होगी। उसके बाद स्पेक्ट्रम को शुल्क के साथ वापस भी किया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में स्पेक्ट्रम की नीलामी की जाएगी।