816 कर्मियों के अरमानों पर पानी, नियुक्ति आदेश वापस लेने के फरमान से कर्मचारियों में मायूसी

नियुक्ति आदेश वापस लेने के फरमान से जल शक्ति विभाग के कर्मचारियों में मायूसी

कार्यालय संवाददाता-बिलासपुर

प्रदेश सरकार ने जल शक्ति विभाग के क्लास-तीन श्रेणी के 816 कर्मचारियों के अरमानों पर पानी फेर दिया है। जल शक्ति विभाग के कुछ एक अधिकारियों के चलते प्रदेशभर के कर्मचारियों को मायूसी हाथ लगी है। जानकारी के अनुसार जल शक्ति विभाग में क्लास-तीन श्रेणी के विभिन्न पदों पर वर्ष 1994 से 1996 तक 816 कर्मचारी दैनिक स्तर पर तैनात किए गए थे। जल शक्ति विभाग द्वारा सात जनवरी 2020 को पत्र जारी किया गया कि जिन क्लास -तीन श्रेणी के कर्मचारियों ने 1.5.2006 तक आठ वर्ष का कार्यकाल दैनिक स्तर पर पूरा कर लिया है उन्हें वर्कचार्ज कर दिया जाए। जल शक्ति विभाग ने 816 कर्मचारियों को 1.1.2002, 1.1.2003 और 1.1.2004 से वर्कचार्ज कर दिया गया था।

जिसके चलते 70 प्रतिशत कर्मचारी पेंशन के दायरे में आ गए और वरिष्ठ उप महालेखाकार से उन्हें जीपीएफ लेखा संख्या भी आंबटित हो गई, लेकिन करीब डेढ़ साल बाद 816 कर्मचारियों के नियुक्ति आदेशों को सचिव जल शक्ति विभाग प्रदेश सरकार द्वारा 2.6.2021 को वापस कर दिया गया, जिसके चलते विभागीय अधीक्षण अभियंताओं ने भी सभी कर्मचारियों के नियुक्ति आदेशों के वापस करने के फरमान जारी करना शुरू कर दिए हैं, जो कि इन कर्मचारियों के साथ भेदभाव को दर्शाता है। उधर, इस बारे में इंटक से संबंधित आल हिमाचल पीडब्ल्यूडी-आईपीएच एंड कांट्रैक्चुअल वर्कर यूनियन के प्रधान सीता राम सैणी, महासचिव जगतार सिंह बैंस, दीप धीमान, उपप्रधान धर्म सिंह सहगल, प्यारे लाल ने कहा है कि प्रदेश सरकार के जल शक्ति विभाग ने सर्वोच्च न्यायलय में भी अपील दायर की थी लेकिन वहां पर भी सरकार के पक्ष में निर्णय नहीं आया। उन्होंने कहा कि सरकार के इस रैवये को लेकर 26 सितंबर को बिलासपुर में होने वाली बैठक में चर्चा होगी। वहीं, आगामी रणनीति बनाई जाएगी। उन्होंने कहा कि इन कर्मचारियों के हितों की अनदेखी सहन नहीं की जाएगी। उन्होंने सभी सदस्यों से आग्रह किया है कि इस बैठक में भाग लें।