तीन प्रतिशत कमीशन पर बिफरे डिपो संचालक, समिति ने 11 को मंडी में आंदोलन की बनाई रणनीति

समिति ने 11 को मंडी में आंदोलन की बनाई रणनीति कहा, हर बार अनदेखी कर रही सरकार

स्टाफ रिपोर्टर—शिमला

प्रदेश के 18 लाख से अधिक सस्ते राशन उपभोक्ताओं को हर माह राशन वितरित करने वाले डिपो संचालकों को प्रदेश सरकार मात्र तीन प्रतिशत कमीशन दे रही है। मात्र तीन प्रतिशत कमीशन देने और बार-बार कमीशन बढ़ोतरी की मांग को पूरा न करने पर प्रदेश के डिपो संचालक भड़क गए हैं। समीति ने मांगों की अनदेखी को लेकर सरकार के खिलाफ 11 अक्तूबर को मंडी में आंदोलन करने की रणनीति बनाई है। प्रदेश डिपो संचालक समिति के प्रदेश अध्यक्ष अशोक कवि ने कहा कि प्रदेश में 5036 डिपो संचालक हैं और उनमें बहुत सारे डिपो संचालक पंचायतों का प्रतिनिधित्त्व भी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि डिपो संचालक समिति समय-समय पर सरकार को अपनी मांगों से अवगत करवाती आ रही है, लेकिन प्रदेश सरकार ने हमेशा हमारी मांगों को अनसुना करके संचालकों को हताश और निराश करने का काम किया है, जिसके चलते प्रदेश के सभी सभी डिपो संचालक सरकार के सुस्त रवैये के कारण सरकार से खफा चल रहे हैं।

कोरोना से दस डिपो संचालकों ने गंवाई जान

समीति के प्रदेश अध्यक्ष अशोक कवि ने बताया कि सरकार के हर आदेशों की अनुपालना करते हुए कोरोना काल में डिपुओं पर उपभोक्ताओं को राशन वितरित करते रहे। इस दौरान प्रदेश के 10 डिपो संचालकों ने कारोना संक्रमित होने के बाद अपने प्राण तक त्याग दिए, लेकिन सरकार ने डिपो संचालकों के हित में फिर भी कोई कदम नहीं उठाया। उन्होंने कहा कि प्रदेश के निजी डिपो धारक अपना पैसा लगाकर निगम के गोदामों राशन लाकर लोगों को वितरित करते हैं और राशन रखने के लिए दुकानें भी किराए पर लेते है जिनके किराए का भुगतान और बिजली बिल का भुगतान भी खुद को करना पड़ता है और सरकार इसके बदले में एपीएल व एपीएलटी के राशन पर मात्र तीन प्रतिशत कमीशन देकर डिपो संचालकों के साथ भद्दा मजाक कर रही है।

गोदामों में तोल कर नहीं दिया जाता राशन

अशोक कवि ने कहा कि समिति ने कई बार मुख्यमंत्री व मंत्री से यह भी शिकायत की कि प्रदेश के अधिकांश निगम के गोदामों से डिपो संचालकों को राशन तोल कर नहीं दिया जाता है। इससे डिपो संचालकों को गोदामों से कम राशन मिलने के कारण आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। प्रदेश में अधिकतर निगम के गोदामों में भार तोलने के लिए वेट मशीनें ही नहीं हैं। इसकी शिकायत भी समिति कई बार विभागीय मंत्री से कर चुकी है, लेकिन सरकार और विभाग की ओर से इस पर कोई कार्रवाई नहीं की है। उन्होंने कहा कि अनदेखी सरकार को उपचुनावों व आम चुनावों में भारी पड़ेगी