जेवर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश की किसान बेल्ट के अहम स्थान गौतमबुद्ध नगर के जेवर में विश्व के चौथे सबसे बड़े नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे का शिलान्यास किया और कहा कि इससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विकास का द्वार खुलेगा और लाखों युवाओं को रोजग़ार मिलेगा।
इस मौके पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, केंद्रीय नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, केंद्रीय राज्य मंत्री संजीव बालियान, राज्य सरकार में मंत्री जयप्रताप सिंह, श्रीकांत शर्मा, स्थानीय सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री डा. महेश शर्मा, डा. भोला सिंह आदि नेता उपस्थित रहे। हवाईअड्डे के लिए भूमिपूजन के बाद एक विशाल रैली को संबोधित करते हुए श्री मोदी ने कहा कि नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट उत्तरी भारत का लॉजिस्टिक गेटवे बनेगा। ये इस पूरे क्षेत्र को राष्ट्रीय गतिशक्ति मास्टर प्लान का एक सशक्त प्रतिबिंब बनाएगा।
लाखों लोगों को रोजगार मिलेेगा। यह पूरे क्षेत्र का कायाकल्प कर देगा और उत्तर प्रदेश को औद्योगिक विकास एवं निवेश का एक बड़ा केन्द्र बनाने में योगदान देगा। उन्होंने कहा कि यह हवाई अड्डा कनेक्टिविटी के मामले में भी एक अनूठा उदाहरण बनेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि दो दशक पहले भारतीय जनता पार्टी की सरकार द्वारा देखा गया यह सपना आज साकार हो रहा है। उत्तर प्रदेश को दशकों बाद वह मिल रहा है, जिसका वह हकदार रहा है।
यह हवाई अड्डा अनेक वर्षों तक केंद्र और उत्तर प्रदेश की सरकारों की आपसी खींचतान में उलझा रहा। उन्होंने कहा कि मैं उन 700 किसानों का भी धन्यवाद दूंगा, जिन्होंने बिना किसी दबाव के खुद ही लखनऊ आकर एयरपोर्ट के लिए अपनी जमीन दी थी। ये बदले हुए प्रदेश की तस्वीर है। श्री सिंधिया ने कहा कि इस हवाईअड्डे के बनने से क्षेत्र में 34 हजार करोड़ रुपए का निवेश होगा तथा इससे उत्तर प्रदेश की क्षमताओं को विश्वपटल पर उभारने के संकल्प को पूरा किया जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में इस समय नौ हवाई अड्डे काम कर रहे हैं और आने वाले दिनों की इनकी संख्या 17 हो जाएगी। उत्तर प्रदेश के हवाई अड्डों से पहले 25 शहरों के लिए उड़ानें सुलभ थीं और अब 80 शहरों के लिए सीधी कनेक्टिविटी हो गई है। हवाई अड्डे के लिए आवश्यक करीब 6200 हेक्टेयर ज़मीन में से पहले चरण के निर्माण के लिए 1334 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जा चुका है। सभी प्रकार की स्वीकृतियां प्राप्त हो चुकीं हैं। निर्माण करने वाली कंपनी ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल एजी की भारतीय इकाई ने निर्माण की पूरी योजना तैयार कर ली है।
पहले चरण में एक रनवे एवं एक टर्मिनल के साथ निर्माण शिलान्यास के 1095 दिनों के भीतर किया जाएगा और 29 सितंबर 2024 में पहली यात्री अथवा कार्गाे उड़ान संचालित होने लगेगी। सरकार ने निर्माण की समयावधि को लेकर बहुत कठोर शर्तें रखीं हैं। निर्माण में देरी होने पर कड़े दंडात्मक प्रावधान रखे हैं। ज़मीन के अधिग्रहण के पश्चात 3002 परिवारों के पुनर्वास का कार्य भी पूरा हो गया है। सबको वैकल्पिक भूमि एवं आवास प्रदान किया जा चुका है।
यहां विमानों के अनुरक्षण, मरम्मत एवं पुनर्निर्माण (एमआरओ) के लिए भी अलग से बड़ा भूभाग आवंटित किया गया है। इससे पहले एमआरओ के लिए विमानों को विदेश भेजना पड़ता था लेकिन अब नोएडा में ये सुविधा हो जाएगी। यह भारत का पहला ऐसा हवाई अड्डा होगा, जहां कार्बन उत्सर्जन शुद्ध रूप से शून्य होगा। जेवर के अलावा गोवा और नवी मुंबई के हवाई अड्डे भी ग्रीनफील्ड हवाईअड्डे होंगे। इस हवाई अड्डे के अंतर्गत एक ऐसा समर्पित भूखंड चिह्नित किया है जहां परियोजना स्थल से हटाये जाने वाले वृक्षों को लगाया जायेगा।
इस तरह उसे जंगलमय पार्क का रूप दिया जायेगा। एनआईए वहां के सभी मूल जीवजंतुओं की सुरक्षा करेगा और हवाई अड्डे के विकास के दौरान प्रकृति का पूरा ध्यान रखा जायेगा। नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के प्रथम चरण के निर्माण की लागत 4588 करोड़ रुपए की होगी, जो निवेशक कंपनी व्यय करेगी