खरड़ बस स्टैंड पर सरकार से निराश नेत्रहीनों का धरना, नौकरियों में मांगा एक फीसदी आरक्षण

खरड़, 11 दिसंबर (पंकज चड्डा)
अपनी मांगों को लेकर कई दिनों से धरने पर बैठे नेत्रहीनों ने अपने मसले हल न होते देख कर शनिवार को खरड़ बस स्टैंड पर धरना दिया। नेत्रहीन प्रदर्शनकारी अचानक बस स्टंैड चौक पर आ गए और उन्होंने पुलिस द्वारा लगाए गए बैरीकेड्स को हटाते हुए सड़क के बीच बैठ कर प्रदर्शन शुरू कर दिया। अचानक नेत्रहीन प्रदर्शनकारियों के राष्ट्रीय राजमार्ग पर आ जाने से यातायात जाम हो गया और पुलिस के उन्हें सड़क से हटाने के सभी प्रयास असफल रहे। गौरतलब है कि पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नीं ने 24 अक्तूबर को नेत्रहीनों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ मुलाकात के दौरान पंजाब के सभी नेत्रहीनो को गोद लेने की घोषणा करके राजनीतिक तौर पर अच्छा समर्थन हासिल किया था परंतु नेत्रहीनों द्वारा लगातार अपनी मांगों संबंधी मुख्यमंत्री के साथ बार-बार संपर्क करने पर उन्हें निराशा हो रही है।

सरकार के इस व्यवहार से निराश नेत्रहीनों द्वारा सरकार को चेतावनी दी गई थी कि यदि नेत्रहीनों की मांगों पर मुख्यमंत्री द्वारा तुरंत कोई कार्रवाई न की गई तो नेत्रहीन 11 दिसंबर को बड़ा संघर्ष करेंगे, जिसकी जिम्मेदारी सरकार तथा प्रशासन की होगी। नेत्रहीनों की मांगों संबंधी जानकारी देते हुए नेत्रहीन नेताओं ने बताया कि सरकारी नौकरियों में नेत्रहीनों का एक प्रतिशत आरक्षण अभी तक सरकार द्वारा नहीं भरा गया है, जिसे तुरंत भरा जाए। नेत्रहीन तथा अंगहीन व्यक्तियों को पांच हजार रुपए महीना पेंशन आदि की मांगें रखी गई हैं। कड़ाके की ठंड में लगातार पिछले कई दिनों से मुख्यमंत्री के घर के बाहर बैठे नेत्रहीनों में सरकार तथा सिस्टम के प्रति भारी रोष पाया जा रहा है।

खुले आसमान के नीचे दरियों पर बैठने तथा सोने के लिए मजबूर नेत्रहीनों में जसपाल सिंह होशियारपुर, अमनदीप सिंह बठिंडा, हर्ष माहिलपुर, हिमांशु मल्होत्रा लुधियाना, जसबीर सिंह बराड़ फरीदकोट, नवदीप सिंह, जगविंदर सिंह, जगजीत सिंह खरड़, रवि कुमार फरीदकोट, अर्शदीप फिरोजपुर, कुलवंत सिंह खरड, तरसेम लाल बस्सी पठाना, अमनदीप फरीदकोट, विजय कुमार लुधियाना, कुलविंदर सिंह नूरमहल, राजिंदर सिंह कुहाड़ा, विवेक मोगा आदि लगातार सरकार के खिलाफ रोष धरने पर बैठे हुए हंै। प्रशासन द्वारा शनिवार को प्रदर्शन कर रहे नेत्रहीनों को उनकी समस्याएंं जल्द हल करने का आश्वासन देने पर नेत्रहीनों ने धरना समाप्त किया।