हनुमान चालीसा

-गतांक से आगे…
तुम्हरे भजन राम को पावै। जनम-जनम के दुख बिसरावै।।
अंतकाल रघुबर पुर जाई। जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।
आपके भजन से राम जी की प्राप्ति होती है और जन्म जन्मांतर के दुखों की विस्मृति हो जाती है। इस जन्म के बाद रघुनाथ जी के धाम में जाएंगे और अगले जन्म में भक्ति का प्रसाद पाकर राम जी के भक्त कहलाएंगे।
और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
संकट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
किसी और देवता की सेवा की कोई आवश्यकता नहीं, हनुमान जी की सेवा सभी सुख देने वाली है। महाबली हनुमान जी का स्मरण करने वाले के सभी संकट समाप्त हो जाते हैं और उसकी सभी पीड़ा दूर हो जाती है।
जै जै जै हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
जो सत बार पाठ कर कोई। छूटहि बंदि महा सुख होई।।
हे हनुमान जी आपकी जय हो, आप मुझ पर गुरुदेव के समान कृपा बनाए रखें। जो सौ बार इस चालीसा का पाठ कर लेता है, वो सभी बंधनों से मुक्त हो जाता है और महान सुख को प्राप्त करता है। -क्रमश: