बाइडेन के समिट से पाकिस्तान का किनारा; चीन के बहकावे में आकर लिया फैसला, बायकॉट पढ़ेगा भारी

एजेंसियां — इस्लामाबाद
पाकिस्तान ने साफ कर दिया है कि वह बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन की वर्चुअल समिट में हिस्सा नहीं लेगा। इस समिट में भारत समेत 100 देश हिस्सा ले रहे हैं। इमरान खान सरकार ने करीब एक महीने बाद यह फैसला किया है। खास बात यह है कि यह फैसला उसी दिन लिया गया, जिस दिन समिट का आगाज होना है। पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक, इमरान सरकार ने समिट के बायकॉट का फैसला चीन के बहकावे में आकर किया है, क्योंकि अमरीका ने चीन और रूस को डेमोक्रेसी समिट में शामिल होने का न्योता ही नहीं दिया। इस समिट में कुल 100 लोकतांत्रिक देशों के नेता हिस्सा ले रहे हैं। दक्षिण एशिया से भारत, पाकिस्तान, मालदीव और नेपाल को इनवाइट किया गया है।

पाकिस्तान ने शिरकत न करने का फैसला किया है। गुरुवार सुबह पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इस बारे में बयान भी जारी कर दिया। चीन और रूस को मीटिंग में शिरकत का इनविटेशन भेजा ही नहीं गया था। दूसरी तरफ चीन के कट्टर दुश्मन ताइवान को न्योता भेजा गया था। अमरीका और पाकिस्तान के बीच पहले ही रिश्ते काफी खराब दौर से गुजर रहे हैं। इस कदम के बाद ये और खराब होने की आशंका है। समिट का बायकॉट करना पाकिस्तान को बहुत भारी पड़ सकता है। पहले से नाराज अमरीका उसे कई तरीकों से सबक सिखा सकता है।

पाकिस्तान को रोजमर्रा का खर्च चलाने के लिए भी कर्ज की जरूरत है और ये आईएमएफ ही देगा। रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान ने समिट के बायकॉट का फैसला चीन के बहकावे में आकर किया है, क्योंकि चीन को इसमें नहीं बुलाया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान ने एक तरह से साफ कर दिया है कि वह चीन के पाले में ही रहना चाहता है। उसने ये नहीं सोचा कि अमरीका अब भी वल्र्ड लीडर है और उसे हर कदम पर अमरीका की जरूरत पड़ सकती है। हालांकि, इस बात का अंदेशा था कि पाकिस्तान यही कदम उठाएगा, क्योंकि उसने न्योते का जवाब एक महीने में भी नहीं दिया।