पॉवर सेक्टर में एक लाख नौकरियां, स्वर्ण जयंती ऊर्जा नीति को कैबिनेट की मंजूरी

प्रदेश में स्वर्ण जयंती ऊर्जा नीति को कैबिनेट की मंजूरी

राज्य ब्यूरो प्रमुख – शिमला

जयराम मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को हुई बैठक में राज्य की नई ऊर्जा नीति को मंजूरी दे दी है। इसे वर्ष 2006 के बाद पहली बार बड़े स्तर पर बदला गया है। इसे स्वर्ण जयंती ऊर्जा नीति 2021 का नाम दिया गया है। ये नई बिजली प्रोजेक्टों के साथ पहले आबंटित उन प्रोजेक्टों को भी मदद देगी, जो ठप पड़े हैं। राज्य में ठंडे पड़ चुके हाइड्रो क्षेत्र को ये पॉलिसी नया बल देगी। इस नीति के तहत वर्ष 2030 तक 10000 मेगावॉट की अतिरिक्त विद्युत उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। 10000 मेगावाट क्षमता की पंप स्टोरज़ परियोजनाओं को स्थापित किया जाएगा और हरित हाइड्रोजन क्षेत्र में भी निवेश आकर्षित होगा । इससे राज्य में लगभग दो लाख करोड़ से अधिक का निवेश होगा और लगभग एक लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। प्रदेश को मिलने वाली निशुल्क विद्युत के विक्रय से लगभग 4000 करोड़ से अधिक का वार्षिक राजस्व भी मिलेगा।

इस वर्ष 2030 तक हाइड्रो , सौर व अन्य ग्रीन एनर्जी स्त्रोतों से अतिरिक्त 10,000 मेगावाट क्षमता के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए नई ऊर्जा नीति में कई प्रकार के प्रावधान किए गए हैं। हाइड्रो और सौर ऊर्जा क्षमता की सटीक योजना और विकास के लिए उपयुक्त आईटी उपकरण, जीआईएस प्रौद्योगिकियों, हाइड्रोलॉजिकल और मौसम संबंधी डेटा के श्रेष्ठतम उपयोग को बढ़ावा देना। पनबिजली परियोजनाओं के कार्यान्वयन, संचालन और रखरखाव के दौरान सामुदायिक स्वामित्व को बढ़ावा देना।

परियोजना निर्माता द्वारा वित्तपोषित गतिविधियों के माध्यम से स्थानीय क्षेत्र का विकास सुनिश्चित करना और परियोजना के पूरे जीवन काल में संचालन और रखरखाव के दौरान आय का नियमित प्रवाह प्रदान करना शामिल है। हिमाचल को देश का ऊर्जा बनाने के लिए स्टैंडअलोन पर पंप भंडारण परियोजनाओं के लिए और मौजूदा या निष्पादन परियोजनाओं के घटकों के संयोजन के साथ नीतिगत ढांचा प्रदान किया जाएगा। पंप स्टोरेज परियोजनाओं के लिए विभिन्न प्रोत्साहन जैसे कि मुफ्त बिजली रॉयल्टी में छूट, एलएडीएफ में छूट, भूमि अधिग्रहण के लिए पंजीकरण शुल्क में छूट इत्यादि दी जाएगी। छोटी 5 मेगावाट क्षमता तक परियोजनाओ के लिए के इनपुट ऊर्जा और आउटपुट ऊर्जा पर ओपन एक्सेस शुल्क में छूट देने का प्रावधान किया गया है।

यह है स्वर्ण जयंती ऊर्जा नीति का लक्ष्य

नई ऊर्जा नीति का लक्ष्य हिमाचल प्रदेश का जल बैटरी राज्य के रूप में तैयार करना। प्रदेश में ग्रीन हाईड्रोजन ऊर्जा को बढ़ावा। सामुदायिक स्वामित्व की भागीदारी और औद्योगिक उत्पाद में शत प्रतिशत हरित ऊर्जा का वर्चस्व बनाना। परियोजनाओं के समयबद्ध कार्यान्वयन के लिए सिंगल विंडो क्लीयरेंस सिस्टम स्थापित करना, जिसके साथ जीआईएस मैपिंग, सेंट्रलाइज्ड डाटा तथा अन्य आईटी स्पोर्ट सिस्टम स्थापित करना भी शामिल है। परियोजनाओं की योजना और समय पर निष्पादन को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से ट्रांसमिशन मास्टर प्लान बनाया जाएगा।

बिजली प्रोजेक्ट्स के बांध बनेंगे पर्यटक स्थल

नई ऊर्जा नीति के तहत राज्य में जल पर्यटन को विकसित करने पर जोर दिया जाएगा। इसके लिए वॉच टावर, पिकनिक स्पॉट, हाउस बोट आवास, शिकारा सवारी, कैंपिंग और अन्य वाटर स्पोर्ट्स, ट्रेकिंग अभियान, आइस स्केटिंग, जल मार्ग आदि के विकास किया जाएगा। पनबिजली परियोजनाओं के बांधों द्वारा निर्मित स्थल उपयुक्तता और जलाशयों के अनुसार पर्यटकों के आकर्षण के लिए अध्ययन किए जाने का प्रावधान है। सरकार ने 10,000 मेगावाट हरित ऊर्जा के लक्ष्य को प्राप्त करने के उद्देश्य से एक विजन डाक्यूमेंट 2030 भी तैयार किया है।

लोगों को 24 घंटे बिजली आपूर्ति का है टारगेट

शिमला – हिमाचल प्रदेश स्वर्ण ऊर्जा नीति लागू हो गई है। नई नीति हरित ऊर्जा पर आधारित होगी। नई नीति का लक्ष्य 2030 तक 10 हजार मेगावाट हरित ऊर्जा तैयार करना है। इस ऊर्जा नीति में मुख्य तौर पर सात बिंदुओं पर जोर डाला गया है। इनमें 2030 तक 10 हजार मेगावाट अतिरिक्त हरित ऊर्जा का उत्पादन, हिमाचल को जल बैटरी राज्य के रूप में पहचान, ग्रीन हाइड्रोजन को बढ़ावा, सामुदायिक स्वामित्व को बढ़ावा, औद्योगिक उत्पादन में शत-प्रतिशत हरित ऊर्जा का ही वर्चस्व लागू करना, बिजली परियोजनाओं के समय बाद कार्यान्वयन के लिए सिंगल विंडो क्लीयरेंस सिस्टम शुरू करने के साथ ही उपभोक्ताओं को 24 घंटे सौ फ़ीसदी बिजली प्रदान करने का लक्ष्य भी तय किया गया है।