हिमाचली बेटी सहेज रही पुरातात्विक धरोहरें, श्रीया गौतम ने डिजिटल ऑर्किलॉजी प्लेटफार्म से छेड़ी नई मुहिम

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी लंदन में पढ़ी सोलन की श्रीया गौतम ने डिजिटल ऑर्किलॉजी प्लेटफार्म से छेड़ी नई मुहिम

मोहिनी सूद — सोलन

ऐसे लोग बिरले ही होते हैं, जिन्हें अपने इतिहास और इतिहास से जुड़ी वस्तुओं से प्रेम होता है। उन्हीं में से एक हैं सोलन की श्रीया गौतम। देश से जुड़ी पुरातात्विक महत्त्व की वस्तुओं को सहेजने के लिए सोलन की श्रीया गौतम ने पहल की है। इस के लिए डिजिटल ऑर्किलॉजी प्लेटफार्म को अपनाया गया है। श्रीया गौत्तम ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है। श्रीया के डिजिटल ऑर्किलॉजी प्लेटफोर्म पर गगूल से ज्यादा मैटीरियल उपलब्ध है। पुरातत्त्व महत्त्व में रूचि रखने वालों के लिए यह प्लेटफोर्म बेहद उपयोगी साबित हो रहा है। श्रीया डॉक्यूमेंटेशन, फोटोग्राफी और डिजिटल कंटेंट भी तैयार कर रही है, ताकि इस दिशा में काम करने वाले शोधार्थियों को भी मदद मिल सकें। साथ ही छात्रों को पुरातत्त्व के महत्त्व के बारे में जागरूक भी कर रही है। सोलन के शिल्ली रोड निवासी कर्नल राकेश गौतम और माता प्रो.नविता गौतम के घर श्रीया का जन्म हुआ। ग्रेजुएशन के बाद उनका चयन इंग्लैंड की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के लिए हुआ। ऑर्कीलॉजी में मास्टर डिग्री के बाद दो साल तक उन्होंने ऑर्किलॉजी का काम सीखा और अपने मिशन पर जुट गई।

20 बच्चों को साथ लेकर शुरू किया था काम

श्रीया गौतम ने बताया कि उन्होंने 20 बच्चों से इस कार्य को शुरू किया था और अब तक देश-विदेश के 200 युवा उनके साथ जुड़ चुके हैं। इनमें भारत के अलावा इंग्लैंड, पाकिस्तान, बांग्लादेश व अन्य देशों के युवा शामिल हैं। उन्होंने बताया कि अब तक स्पीकिंग ऑर्किलॉजी पुरातत्व की 2000 साइट्स और 500 म्यूजियम को कवर कर चुका है। उन्होंने बताया कि उनके डिजिटल ऑर्किलॉजी प्लेट फोर्म पर गूगल से अधिक मैटिरियल उपलब्ध हैं। इतना बड़ा कार्य करने पर भी अभी तक श्रीया ने कोई भी सरकारी मदद नहीं ली है,जो अपने आप में एक मिसाल है।