लक्ष्मीनारायण मंदिर

चंबा का दसवीं शताब्दी में शिखर शैली में निर्मित ऐतिहासिक लक्ष्मीनारायण मंदिर लोगों की अटूट श्रद्धा का प्रतीक है। शहर के बीचोंबीच स्थापित कुल छह मंदिरों के समूह में मुख्य मंदिर लक्ष्मीनाथ का है। इस मंदिर में स्थापित भगवान विष्णु की आदमकद प्रतिमा का तेज बरबस हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करता है। मंदिर समूह के तमाम मंदिरों का प्रवेश द्वार पूर्व दिशा की ओर है। मंदिर के मुख्य द्वार के समीप ही पत्थर से निर्मित गुंबद पर गरूड की पीतल की प्रतिमा भी स्थापित की गई है। बताया जाता है कि इस भव्य मंदिर का निर्माण चंबा रियासत के तत्कालीन शासक राजा साहिल वर्मन द्वारा करवाया गया था। इस मंदिर समूह में सबसे प्राचीन मंदिर लक्ष्मीनाथ, गौरीशंकर और चंद्रगुप्त हैं।

शेष मंदिरों का निर्माण सोलहवीं, सत्रहवीं व अठारहवीं शताब्दी में करवाया गया है। लक्ष्मीनारायण मंदिर समूह का प्रमुख लक्ष्मीनाथ मंदिर आकार में सबसे बडा है, जिसकी उंचाई 65 फुट है। इस मंदिर के गर्भगृह में सफेद संगमरमर की विष्णु की प्रतिमा है। इस प्रतिमा के चार मुख है, जो क्रमश वासुदेव, वरहा, नरसिंह व कपिल के हैं। मूर्ति के सामने के दो हाथों में शंख व कमल है, जबकि पीछे के हाथ चक्कर पुरुष व गदा देवी के सिर पर स्थित है। विष्णु के चरणों के मध्य भूदेवी की प्रतिमा है। यह प्रतिमा कश्मीर शैली में निर्मित है।

ऐसा प्रतीत होता है कि राजा साहिल वर्मन ने इन मंदिरों के निर्माण हेतु कश्मीर से कुशल शिल्पों को बुलाया था। लक्ष्मीनारायण मंदिर के इस समूह में दूसरा महत्त्वपूर्ण मंदिर गौरीशंकर का है। गौरीशंकर के मंदिर में शिव व पार्वती की आदमकद प्रतिमाएं स्थापित हैं, जोकि पीतल से निर्मित हैं। इस प्रतिमा में शिव व पार्वती को त्रिभंग मुद्रा में दिखाया गया है और प्रतिमा के पीछे नंदी वाहन है। प्रतिमा कश्मीरी शैली में निर्मित है। लक्ष्मीनारायण मंदिर समूह में राधाकृष्ण का मंदिर अपेक्षाकृत नया है, जिसे राजा जीत सिंह की पत्नी रानी शारदा ने इसका निर्माण करवाया था। इस मंदिर का निर्माण काल 18वीं शताब्दी का पूर्वाद्र्ध है। इस मंदिर के गर्भगृह में राधाकृष्ण की संगमरमर की प्रतिमाएं हैं।