Tejas: भारतीय ‘तेजस’ का दुनिया भर में डंका, अमरीका भी भारत से फाइटर जेट खरीदने को बेचैन

दिव्य हिमाचल ब्यूरो — नई दिल्ली

एक समय था जब भारत दूसरे देशों से लड़ाकू विमान खरीदता था। अपनी सुरक्षा के लिए भारत दूसरे देशों पर निर्भर था, लेकिन अब पासा पलट गया है, जिन देशों से भारत कभी लड़ाकू विमान खरीदा करता था। वे ही देश अब भारत के फाइटर जेट खरीदने के लिए बेचैन हैं। भारत का स्वदेशी जेट तेजस पूरी दुनिया में धूम मचा रहा है। डिफेंस इक्विपमेंट का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर अमरीका खुद भारत के स्वदेशी मॉडर्न फाइटर जेट ‘तेजस’ को खरीदने के लिए उतावला हो रहा है।

भारत अब दुनिया के दूसरे देशों से सिर्फ फाइटर जेट खरीदेगा नहीं, बल्कि बेचेगा भी। इस बात की जानकारी रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने दी है। श्री भट्ट ने कहा कि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड यानी एचएएल एक इंजन वाले इस फाइटर जेट का निर्माण करती है। इसके लिए पिछले साल अक्तूूबर में रॉयल मलेशियाई वायुसेना ने 18 जेट विमानों के प्रस्ताव के अनुरोध का जवाब दिया था, जिसमें तेजस के दो सीटों वाले संस्करण को बेचने की पेशकश की गई थी। इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा है कि इस विमान को खरीदने में छह अन्य देश जैसे अमरीका, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, मिस्र, इंडोनेशिया और फिलिपींस ने भी दिलचस्पी दिखाई है।

1983 में शुरू हुए प्रयास को 18 साल बाद मिली थी सफलता

इंडियन एयरफोर्स के बेड़े में हलके फाइटर विमान यानी एलसीए को शामिल करने की तैयारी 1983 में ही शुरू हो गई थी। सरकार की हरी झंडी मिलते ही भारतीय साइंटिस्ट अपने मिशन को अंजाम देने में दिन-रात लग गए थे। इसका वक्त एलसीए के सिर्फ दो मकसद थे। पहला, रूसी फाइटर मिग-21 के विकल्प में नया फाइटर जेट तैयार करना। दूसरा, स्वदेशी और हलके फाइटर जेट को बनाना। करीब 18 सालों की कड़ी मेहनत के बाद आखिरकार जनवरी, 2001 को पहली बार इस स्वदेशी फाइटर जेट ने हिंदुस्तान के आसमान में उड़ान भरी थी।