हमारी अर्थव्यवस्था का कटु सत्य…

कितना अच्छा लगता है जब बात की जाती है 5 ट्रीलियन अर्थव्यवस्था बनने की और विश्वगुरु बनने की, लेकिन जब वल्र्ड हंगरी इंडेक्स के आंकड़े आते हंै तो हमें दुख होता है कि आखिर हम कैसे देश की गरीबी को मिटाने में कामयाब हो सकते हैं? खेद होता है यह देख कर कि कथिततौर से 2014 वल्र्ड हंगर इंडेक्स में हम 55वें स्थान पर थे, 2017 में 100वें, 2019 में 102वें, 2020 में 94वें और 2021 में 116 देशों में से 101वें पायदान पर हंै। भले ही सरकार कथित तौर से 80 करोड़ गरीबों को मुफ्त राशन दे रही है, पर कब तक दिया जा सकता है? लगता नहीं है कि फ्रीबीज से गरीबी मिटाई जा सकती है। इस तरह गरीबों को मुफ्त राशन बांटते रहे तो उन्हें मुफ्त खाने की गलत आदत पडऩे के साथ देश के संसाधनों और विकास पर भी दबाव पड़ सकता है।

-रूप सिंह नेगी, सोलन