पर्यटन सूचना पट्ट गायब…चिढ़ा रहे पर्यटकों का मुंह

प्रदेश के प्रवेश द्वार जिला ऊना की सीमाओं पर नदारद पर्यटन सूचना केंद्र, पर्यटको को जगह ढूढने में करना पड़ रहा दिक्कतों का सामना, यहां-वहां भटकने को मजबूर लोग

अजय ठाकुर- गगरेट
पहाड़ी अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहा जाने वाला पर्यटन क्षेत्र जिला ऊना में पर्यटन विभाग के उदासीनपूर्ण रवैये के चलते फलफूल नहीं पाया है। बेशक पर्यटन विभाग द्वारा एशियन डिवेल्पमेंट बैंक के सहयोग से धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए करीब पचास करोड़ रुपए की परियोजना विश्व विख्यात मां चिंतपूर्णी में क्रियान्वित की और साहसिक खेल गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए अंदरौली में जल क्रीड़ाएं विकसित कीं लेकिन पर्यटन के लिहाज से जिला ऊना में कौन-कौन से दर्शनीय स्थल हैं न तो इस दिशा में काम हो पाया है अलबत्ता हिमाचल प्रदेश का प्रवेश द्वार कहे जाने वाले जिला ऊना की सीमाओं पर पर्यटन सूचना केंद्र तक स्थापित नहीं हो पाए हैं।

ऐसे में प्रदेश के नैसर्गिक सौंदर्य का आनंद लेने आने वाले पर्यटक अपने मन में कुल्लू-मनाली व शिमला की वादियों की तस्वीर लिए प्रदेश के अन्य रमणीक स्थलों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। ऐसे में पर्यटन क्षेत्र रोजगार की अपार संभावनाएं होने के बावजूद प्रदेश के युवाओं को इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर नहीं दे पा रहा है। जिला ऊना में भी ऐसे कई स्थल हैं जो पर्यटकों को अपनी ओर खींचने का दम रखते हैं लेकिन उचित जानकारी के अभाव में और इन स्थलों पर पर्यटकों के लिए सुविधाओं की कमी के चलते अधिकांश पर्यटक इन स्थानों पर पहुंच ही नहीं पा रहे हैं। पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की ओर से आने वाले अधिकांश पर्यटक जिला ऊना के रास्ते ही प्रदेश में प्रवेश करते हैं लेकिन जिले की सीमाओं पर एक भी पर्यटक सूचना केंद्र न होना पर्यटन विभाग की व्यवस्थाओं की पोल खोलता प्रतीत हो रहा है। सीधे शब्दों में कहें तो जिले की सीमाओं पर पर्यटन विभाग ऐसा एक भी सूचना केंद्र स्थापित नहीं कर पाया है जो पर्यटकों को यह बता सके कि प्रदेश में महज कुल्लू-मनाली, शिमला, डल्हौजी या धर्मशाला ही पर्यटक स्थल नहीं हैं बल्कि प्रदेश के नैसर्गिक सौंदर्य के साथ यहां कई ऐसे स्थल हैं जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर सकते हैं। जिला ऊना की बात करें तो कुछ अरसा पहले यहां धार्मिक सर्किट को विकसित कर जिले के धार्मिक स्थलों को धार्मिक पर्यटन से जोडऩे की बात चली थी लेकिन यह बात बातों ही बातों में खत्म हो गई। जिला ऊना में ही मां चिंतपूर्णी मंदिर के अलावा द्रोण महादेव शिव मंदिर शिवबाड़ी, ध्यूंसर महादेव शिव मंदिर, पीर निगाहा, डेरा बावा रुदरानंद नारी, अमलैहड़, जोगी पंगा, बावा बाल जी महाराज आश्रम समूर कलां के साथ-साथ सिखों के प्रथम गुरु गुरु नानक देव जी के वंशजों का किला वेदी साहिब भी ऊना में ही स्थित है लेकिन दूसरे राज्यों से आने वाले पर्यटक इन तथ्यों से अंजान हैं। जिसके चलते धार्मिक आस्था के वशीभूत हिमाचल आने वाले धार्मिक पर्टयक भी इन स्थानों से अंजान रह रहे हैं। यही नहीं बल्कि इसके अतिरिक्त पर्यटन को बढ़ावा देने की असीम क्षमता रखने वाले सोलसिंगी धार के किले, राजपुर जस्वां का किला भी उपेक्षा का इस कद्र शिकार हुआ कि अब इनके खंडहर ही शेष बचे हैं। उधर, जिला पर्यटन अधिकारी रवि धीमान का कहना है कि पर्यटन सूचना केंद्र की अगर डिमांड आएगी तो निश्चित तौर पर योजना तैयार कर उच्च अधिकारियों को प्रेषित की जाएगी। उन्होंने बताया कि फिलहाल पर्यटन विभाग की ओर से जिला ऊना के लिए कोई प्रोजेक्ट प्रस्तावित नहीं है। (एचडीएम)