Karamchari: आउटसोर्स पॉलिसी पर बैठक लटकी; कर्मियों को स्थायी नीति बनाने का हुआ था फैसला

राज्य ब्यूरो प्रमुख — शिमला

राज्य के सरकारी विभागों में काम कर रहे 28000 आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए स्थायी नीति बनाने की प्रक्रिया फिलहाल रुक गई है। इसकी वजह यह है कि चुनाव से पहले फाइनांस सेक्रेटरी की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में कुछ प्वाइंट तय किए गए थे, लेकिन इसके बाद दूसरी बैठक अब तक नहीं हो पाई है। विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले कैबिनेट ने यह फैसला किया था कि आउटसोर्स कर्मचारियों को अब कौशल विकास निगम के तहत ही लाया जाएगा और बीच में से ठेकेदारों को हटा दिया जाएगा। इससे इन्हें जॉब सिक्योरिटी मिल जानी थी, जबकि वित्तीय मसलों पर कैबिनेट ने कुछ स्पष्ट नहीं कहा था। इसके लिए कौशल विकास निगम को कौशल विकास एवं रोजगार निगम के रूप में बदलने और इसे कंपनी बनाने का फैसला हुआ था। इसके बाद अतिरिक्त मुख्य सचिव फाइनांस प्रबोध सक्सेना ने तकनीकी शिक्षा और श्रम विभाग के सचिवों के साथ एक बैठक कर इनसे कुछ डॉक्यूमेंटेशन सबमिट करने को कहा था।

इस बैठक में तकनीकी शिक्षा विभाग के सचिव अमिताभ अवस्थी और श्रम एवं रोजगार विभाग के सचिव अक्षय सूद मौजूद थे। ये डॉक्यूमेंट तैयार हैं, लेकिन अभी दूसरी बैठक की डेट तय नहीं हुई है। पिछली बैठक में तकनीकी शिक्षा विभाग को कौशल विकास निगम के मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग और मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट के नियम और शर्तों पर रिपोर्ट देने को कहा गया था। अब जब तक दूसरी बैठक नहीं हो जाती, तब तक यह तय नहीं है कि आउटसोर्स को लेकर कैबिनेट में हुए फैसले के अनुसार पॉलिसी कब बनेगी। श्रम विभाग से यह डिटेल मांगी गई थी कि पूरे प्रदेश में अब तक कितने आउटसोर्स कर्मचारी हैं। हालांकि यह डाटा इससे पहले कैबिनेट सब कमेटी ने तैयार कर लिया था और पहले से ही सरकार के पास मौजूद है। अब सवाल यह है कि नई सरकार के आने से पहले क्या अतिरिक्त मुख्य सचिव फाइनांस अपने स्तर पर फाइनल पॉलिसी नोटिफाई कर सकते हैं या नहीं। आउटसोर्स कर्मचारी भी इस पॉलिसी को मतदान से पहले सार्वजनिक करने की मांग कर रहे थे, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।