HP Election: चुनाव में उम्मीदवारों की मदद को बढ़ाए हाथ

68 विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी फंड से मिली 13 करोड़ की राशि, प्रचार में झोंकी थी ताकत

राकेश शर्मा — शिमला

चकाचौंध चुनाव की भागदौड़ खत्म हो चुकी है और हिसाब मतगणना का लगाया जा रहा है। अब से ठीक नौ दिन बाद परिणाम सामने होंगे। सडक़ से सत्ता तक का सफर पूरा करने में खर्च कितना आया और नेताओं को पार्टी के माध्यम से कितनी धनराशि इस बार प्रचार के लिए मिली होगी, ये भी बड़े सवाल हैं। कांग्रेस की बात करें तो 13 करोड़ रुपए से ज्यादा की धनराशि पार्टी फंड से उम्मीदवारों को मिलने की बात कही जा रही है। सभी 68 विधानसभा सीटों पर चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस ने रणनीति बनाई थी। इस रणनीति के तहत प्रचार के तौर पर नेताओं को धनराशि का आबंटन तय हुआ था। हालांकि प्रदेश में सक्षम नेताओं ने अपने स्तर पर भी प्रचार का जिम्मा संभालने की बात पार्टी हाइकमान से कही थी और इसी क्रम को बरकरार रखते हुए उनके पार्टी फंड के हिस्से में कटौती हुई है। इस बार कांग्रेस ने राजीव शुक्ला को हिमाचल प्रभारी के तौर पर जिम्मेदारी दी थी, जबकि राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी प्रदेश में स्टार प्रचारक की भूमिका निभा रही थी। प्रदेश में प्रचार के लिए महज 28 दिन मिले थे। 14 अक्तूबर को विधानसभा चुनाव का ऐलान हुआ, जबकि 10 नवंबर को प्रचार खत्म हो गया। प्रचार के दौरान उम्मीदवारों ने अपने क्षेत्र में बड़े पैमाने पर जनसभाएं की हैं और इसके अलावा बड़े नेताओं की रैलियों में भीड़ जुटाने के लिए गाडिय़ों का प्रबंध भी किया गया।

उम्मीदवारों को अब अपने खर्च का हिसाब चुनाव आयोग को देना है। नेताओं ने पार्टी फंड के रूप में मिली धनराशि में से कितना खर्च किया है, इसका खुलासा भी अब चुनाव आयोग को भेजी जाने वाली रिपोर्ट में होगा। बहरहाल, हिमाचल में विधानसभा चुनाव करोड़ों रुपए खर्च हुआ है। टिकट हासिल करने के बाद नेताओं को पार्टियों के माध्यम से प्रचार के लिए धनराशि मिली थी। इस धनराशि का इस्तेमाल नेताओं को प्रचार में करना था। उधर, प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता देवेंद्र बुशैहरी का कहना है कि राजनीतिक दल उम्मीदवारों की मदद करते हैं। यह परंपरा अकेले कांग्रेस में नहीं है भाजपा भी बड़े पैमाने पर चुनाव में धनबल का प्रयोग करती आई है। कांग्रेस ने एक तय दायरे में सभी 68 विधानसभा क्षेत्रों में मदद मुहैया करवाई है।

2017 में 28 लाख, इस बार 40 लाख थी सीमा

दरअसल इस बार चुनाव आयोग ने प्रचार के खर्च में बढ़ोतरी की थी। 2017 के विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार के लिए 28 लाख की राशि निर्धारित की गई थी। इसे बढ़ाकर 40 लाख रुपए किया गया है। चुनाव आयोग ने इस बार निगरानी के तमाम प्रबंध किए थे। उम्मीदवारों ने जितना भी खर्च किया है, उसका पूरा हिसाब चुनाव आयोग को दिया जा रहा है। हालांकि परिणाम निकलने के बाद होने वाले जश्रा का खर्च भी उम्मीदवार के कुल खर्च में जोड़ा जाता है। ऐसे में उम्मीदवारों के खर्च की अंतिम रिपोर्ट परिणाम के बाद आएगी।