संविधान को मजबूत बनाने की जरूरत…

यह अच्छी बात है कि संविधान दिवस पर नेताओं ने जनता को कत्र्तव्य पालन करने के लिए प्रेरित किया और कहा कि संविधान अब अधिक प्रासंगिक है, जबकि संविधान तब से प्रासंगिक है जब से लागू हुआ है। आज देश और देश की जनता जिस मुकाम पर है, वह संविधान की देन है। ऐसा लगता है कि कहीं न कहीं संविधान के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा सकते हैं क्योंकि कुछ तथाकथित प्रेशर ग्रुप व तथाकथित संगठन संविधान से छेड़छाड़ करने की नाकाम कोशिश कर सकते हैं और संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर बनाने की कोशिश करने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। संविधान को और मजबूत बनाने की जरूरत है ताकि संविधान की प्रासंगिकता को और बल मिल सके । संविधान की रक्षा करना और पालन करना ही सबसे बड़ा धर्म होता है।

-रूप सिंह नेगी, सोलन