HP Election-2022 : हजूर! मतदान के बाद…यही है दस्तूर

पवन कुमार शर्मा — धर्मशाला

जिस तरह चुनावों से पहले नेता लोगों से वोट मांगते हैं, उससे वे भी उम्मीद करते हैं कि चुनावों के बाद नेता लोगों के बीच जाकर उनका धन्यवाद करेंगे, लेकिन यहां तो उल्टा हो रहा है। नेताजी चाह रहे रहे हैं कि उनके घर पर लोग आएं और उन्हें फीडबैक देकर जाएं। कई दिनों तक चुनावों की थकान उतारने और फोन तक न उठाने से खफा लोग अब ऐसे नेताओं को ‘सत्ता के भूखे’ करार देेने लगे हैं। मतदान प्रक्रिया पूरी होनेे के बाद नेता कहीं गायब हो गए हैं। इससे जनता हैरान है। नेता परिणाम आने से पहले न तो जनता का धन्यवाद करने को निकल रहे हैं और न ही कार्यकर्ताओं की परवाह कर रहे हैं। वोट देने के बाद भी जनता को ही नेताओं के घर तलाश करने पड़ रहे हैं। ऐसे अटकलें लगनी शुरू हो गई हैं कि नेता सत्ता के लिए जनता के बीच जाते हैं और फिर अचानक गायब हो जाते हैं। इस बार विधानसभा चुनावों को भाजपा व कांग्रेस ने जिस तरह चुनाव लड़ा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी तक ने रैलियां कर जनता तक पहुंचने का प्रयास किया, उससे सियासी फिजाएं बदलने की उम्मीद लगाई जा रही थीं। खासतौर पर नेताओं के व्यवहार में परिवर्तन के कयास लगाए जा रहे थे कि अब नेताओं की कार्यप्रणाली बदलेगी, लेकिन कुछ चुनिंदा नेताओं को छोड़ दें तो अधिकतर फोन भी नहीं उठा रहे हैं। अगर ऐसे ही संकेत मिलते रहे, तो खासकर नई पीढ़ी इन्हें नकार सकती है। हालांकि कुछ प्रत्याशियों ने लोगों के बीच जाकर उनका आभार जता रहे हैं, जिसकी लोग प्रशंसा कर रहे हैं।

गुप्त मतदान प्रणाली की विश्वसनीयता पर सवाल

मतदान के दिन मतदान कर गुप्त मतदान प्रणाली की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करने के दो मामले सामने आए हैं। जिस पर कार्यवाही शुरू हो गई है। कांगड़ा जिला के देहरा में सामने आए दोनों ही मामलों की जांच का जिम्मा पुलिस को सौंप दिया गया है, लेकिन गुप्त मतदान प्रणाली में ऐसे वाकया सवाल खड़े कर रहे हैं कि मतदान के समय मोबाइल अंदर ले जाने की अनुमति होनी चाहिए या नहीं। इस परभी बड़ी वहस छिड़ गई है।