HP Election : भाजपा-कांग्रेस की नैया डुबो सकते हैं अन्य

2017 में टी पार्टियों के खाते में गए थे 18.18 फीसदी मत, माकपा जीत गई थी एक सीट

राकेश शर्मा — शिमला

रिजल्ट से पहले बात उनकी, जो डुबोने के लिए मैदान में हैं। यानी वेे दल, जो सीटें हासिल करने की हैसियत में भले ही न हों, लेकिन हार का स्वाद चखाने का दम जरूर रखते हैं। मतगणना को पांच दिन बाकी हैं और उसके बाद सरकार तय हो जाएगी, लेकिन इस बार भी वे राजनीतिक दल चर्चा में रहेंगे, जिनकी वजह से बड़े-बड़े नेता सीट गंवा सकते हैं। हिमाचल की सियासत में तीसरे मोर्चे का वोट शेयर राजनीतिक दलों के भविष्य तय करने में अहम साबित हुआ है। 2017 में भले ही ये दल सीटें निकालने की स्थिति में न आए हों, लेकिन कुल मतदान का 18.18 प्रतिशत हिस्सा इन छोटे दलों के खाते में चला गया था और इसका असर सीटों के नुकसान के रूप में कांग्रेस को झेलना पड़ा। 2017 में 16 अन्य दल हिमाचल विधानसभा चुनाव में उतरे थे। इनमें से कई दल ऐसे भी थे, जिनका नाम तक पहली बार विधानसभा में ही सुनने को मिला था। 2017 में भाजपा और कांग्रेसी खेमे में सेंधमारी करने वाले इन दलों की बात करें तो प्रदेश में सबसे ज्यादा मत सीपीएम ने हासिल किए थे। सीपीएम ने शिमला समेत प्रदेश भर में 14 सीटों पर चुनाव लड़ा था।

इस दौरान ठियोग विधानसभा क्षेत्र में पार्टी एक सीट जीतने में कामयाब रही, तो शिमला शहरी सीट पर करीब 9000 मत हासिल कर कांग्रेस की जीत को हार में बदलने में भी अहम भूमिका निभाई थी। बहुजन समाजवादी पार्टी ने प्रदेश में 42 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 18 हजार 540 वोट हासिल किए थे और 2017 के चुनाव में बसपा सीपीआईएम के बाद दूसरा बड़ा दल बन गया था। अन्य दलों की बात करें तो एसडब्ल्यूएपी ने प्रदेश में सात सीटों पर चुनाव लड़ा और 2425 वोट हासिल किए, एलओजीएपी ने सात सीटों से 2161, आरएडीएम ने चार सीटों से 1905, एनसीपी ने दो सीटों से 752 वोट, एआईएफबी ने दो सीटों से 610 और समाजवादी पार्टी ने एक सीट से 442 वोट हासिल किए थे।

इसके अलावा अन्य दल भी छिटपुट वोट बटोरने में कामयाब रहे। वोट शेयर में यह हिस्सेदारी इन दलों ने कांग्रेस और भाजपा दोनों के वोट बैंक को साधने के बाद ही हासिल की थी। 2017 में भाजपा ने सरकार बनाई थी और इस दौरान पार्टी के खाते में 18 लाख 46 हजार 432 वोट आए थे। यह कुल मतदान का 48.79 प्रतिशत हिस्सा था। इस मतदान की वजह से भाजपा को प्रदेश में 44 सीटें मिल गई थीं, जबकि कांग्रेस के हिस्से में 15 लाख 77 हजार 450 वोट आए थे। यह कुल मतदान का 41.68 प्रतिशत हिस्सा था। कांग्रेस इस मतदान से 21 सीटें जीत पाई थी, जबकि कुल मतदान में से 86 हजार 555 वोट अन्य दलों के खाते में चले गए थे। इन दलों के इस वोट शेयर ने उन विधानसभा क्षेत्रों में खास भूमिका अदा की थी, जिनमें जीत या हार को लेकर बेहद नजदीकी मुकाबला देखने को मिला था। (एचडीएम)

यहां दिखेगा आप का असर

विधानसभा चुनाव में हिमाचल में पहली बार आम आदमी पार्टी ने चुनाव लड़ा है। इस बार अन्य दलों के साथ ही आप का दखल भी हिमाचल में देखने को मिलेगा। आप ने 67 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। कांगड़ा, मंडी, ऊना और सिरमौर जिला में आप के उम्मीदवार कई सीटों पर बराबर मुकाबले में बने हुए हैं। ऐसे में इन सीटों का वोट शेयर भाजपा और कांग्रेस दोनों के समीकरण खराब कर सकता है। पहली बार में ही हिमाचल के मतदाता आप को कितने फीसदी वोट देते हैं, इस पर भी सबकी नजरें बनी हुई है।

शिमला में माकपा की टक्कर

सीपीआईएम इस बार भी पूरे जोश के साथ चुनाव में उतरी है। हालांकि प्रदेश में सीपीएम का रुतबा बहुत बड़ा नहीं है, लेकिन शिमला शहरी और ठियोग सीट पर एक बार फिर सीपीआईएम के उम्मीदवार मुकाबले में बने हुए हैं। 2017 में ठियोग की सीट सीपीआईएम ने जीत ली थी। इस बार यहां मुकाबला कई कोणों में बंट गया है। भाजपा ने अजय श्याम को टिकट दी है, तो इंदू वर्मा की बगावत का सामना कर रही है। कांग्रेस कुलदीप राठौर को टिकट दी है, जबकि यहां विजय पाल खाची कांग्रेस के बागी भी मैदान में हैं, जबकि सीआईएम से राकेश सिंघा अकेले हैं।

2.39 लाख वोट ले गए थे निर्दलीय

2017 के विधानसभा चुनाव में अन्य दलों के साथ ही निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी कई सीटों पर कमाल दिखाया था। 68 विधानसभा वाले हिमाचल में 112 निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में थे। इनमें से दो चुनाव जीतने में भी कामयाब रहे। निर्दलीय उम्मीदवारों का वोट शेयर करीब आठ फीसदी था। दो लाख 39 हजार 989 वोट इनके खाते में चले गए थे। कई सीटों पर निर्दलीय की सेंधमारी भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों में जबरदस्त तरीके से देखने को मिली थी। इस बार जिन नेताओं को दोनों ही राजनीतिक दलों ने टिकटें नहीं दी हैं वे निर्दलीय के तौर पर मैदान में हैं।

इन्होंने लड़ा चुनाव

पूर्व की बात करें तो 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के अलावा जिन दलों ने चुनाव लड़ा था उनमें सीपीएम, सीपीआई, एनसीपी, एआईएफबी, एसपी, एएलआईआरएमडी, बीएचएलजेवीपी, बीएमयूपी, जैनएसपी, एलओजीएपी, एनईडी, आरएडीएम, आरएसएचपी, एसएकेएपी, एसडब्ल्यूएपी शामिल हैं।

संसद में पेश होगा हाटी को एसटी दर्जा देने का बिल

नौहराधार — केंद्र सरकार ने जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र के हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा देने के लिए शीतकालीन सत्र में लोकसभा व राज्य सभा में बिल प्रस्तुत करने की कवायद शुरू कर दी है। संसदीय बुलेटिन में लोकसभा व राज्यसभा की कार्य सूची में हिमाचल प्रदेश के गिरिपार क्षेत्र के हाटी समुदाय को जनजाति का दर्जा दिए जाने का संशोधन बिल पेश किया जाएगा। कार्य सूची में 16 नए बिल लोकसभा व राज्य सभा में पेश किए जाएंगे। सूची में हाटी समुदाय का बिल 15वें स्थान पर अंकित है। हिमाचल प्रदेश में चुनावी नतीजे आने से पूर्व ही केंद्र की भाजपा सरकार ने यह बिल लोकसभा व राज्य सभा में प्रस्तुत करने के निर्णय से हाटी समुदाय में खुशी की लहर है। केंद्रीय हाटी समिति के अध्यक्ष डा. अमी चंद कमल व महासचिव कुंदन शास्त्री ने कहा कि केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने अपने वादे को पूरा करके स्पष्ट संदेश दिया है कि यह सरकार हो कहती है, वह करती है।