डॉक्यूमेंट्री विवाद: सुप्रीम कोर्ट पहुंचा डाक्यूमेंट्री विवाद, सरकार के प्रतिबंध के खिलाफ डाली गई जनहित याचिका

दिव्य हिमाचल ब्यूरो — नई दिल्ली

गुजरात दंगों को लेकर बनाई गई बीबीसी की डाक्यूमेंट्री पर देशभर में विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा और अब यह मुद्दा देश के सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। देश में 2002 के गुजरात दंगों पर बनी बीबीसी की डाक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता एमएल शर्मा ने एक जनहित याचिका दायर की है। याचिका में शीर्ष अदालत से बीबीसी डाक्यूमेंट्री के दोनों भागों की जांच करने और गुजरात दंगों के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है। अधिवक्ता एमएल शर्मा ने कहा कि मैंने अपनी जनहित याचिका में एक संवैधानिक सवाल उठाया है। उन्होंने याचिका में शीर्ष अदालत से यह तय करने का आग्रह किया है कि संविधान के अनुच्छेद 19 (1) और (2) के तहत नागरिकों को 2002 के गुजरात दंगों पर समाचार, तथ्य और रिपोर्ट देखने का अधिकार है या नहीं। याचिका में उन्होंने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के 21 जनवरी, 2023 के बीबीसी डॉक्यूमेंट्री को बैन करने के आदेश को अवैध, दुर्भावनापूर्ण, मनमाना और असंवैधानिक बताया है। साथ ही इसे रद्द करने का निर्देश देने की मांग की है।

उनकी याचिका में कहा गया है कि क्या केंद्र सरकार प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगा सकती है, जो कि संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (2) के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकार है। साथ ही इसमें यह भी कहा गया है कि क्या राष्ट्रपति द्वारा भारत के संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत आपातकाल घोषित किए बिना, केंद्र सरकार द्वारा आपातकालीन प्रावधानों को लागू किया जा सकता है? वरिष्ठ अधिवक्ता ने दावा किया है कि बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री में रिकॉर्डेड तथ्य हैं। इन तथ्यों को पीडि़तों के लिए न्याय के कारण को आगे बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। गौरतलब है कि बता दें कि 21 जनवरी को केंद्र सरकार ने विवादास्पद बीबीसी डाक्यूमेंट्री ‘इंडिया-द मोदी क्वेश्चन’ को देश में प्रतिबंधित कर दिया था। हालांकि, कई शिक्षण संस्थानों में छात्र संगठनों ने डाक्यूमेंट्री के प्रदर्शन को लेकर हंगामा किया है, जिस पर विवाद की स्थिति भी पैदा हुई है।