पति को माता-पिता से दूर करना क्रूरता, वैवाहिक विवाद पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की टिप्पणी

निजी संवाददाता — चंडीगढ़
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने वैवाहिक विवाद के एक मामले में पति को उसके माता-पिता से दूर करने के प्रयास को पत्नी की क्रूरता माना है। कोर्ट ने मामले में जालंधर की फैमिली कोर्ट द्वारा पति को दिए तलाक के आदेश पर मुहर लगा दी है। याचिका दाखिल करते हुए पत्नी ने बताया कि उसके पति ने फैमिली कोर्ट में तलाक के लिए याचिका दाखिल की थी। उस याचिका में पति ने बताया था कि वह डाक्टर है और क्लीनिक चलाता है। विवाह के बाद उसकी पत्नी अपने मायके चली गई और वहां बच्चे को जन्म दिया। पति अपनी पत्नी और बच्चे को लेने जालंधर गया, लेकिन पत्नी व उसके मायके वालों ने आने से मना कर दिया। पत्नी ने कहा कि पति अपना ऊना स्थित क्लीनिक बंद कर जालंधर में अपनी प्रैक्टिस शुरू करे। पत्नी ने कहा कि वह संयुक्त परिवार में नहीं रह सकती है।

जब याची ने इससे इनकार किया, तो पत्नी ने घरेलू हिंसा का केस दर्ज करवा दिया। बाद में, समझौता हो गया। इसके बाद भी कई बार रिश्तों को सुधारने का प्रयास किया गया, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। तब पति ने ऊना में तलाक याचिका दाखिल कर दी। इस याचिका को खारिज कर दिया गया। इसके बाद पत्नी ने पुलिस को शिकायत दी कि बिना तलाक के पति ने अन्य महिला से विवाह किया है। इस मामले में पति को एक माह जेल में बिताना पड़ा। बाद में, वह निर्दोष साबित हुआ। फैमिली कोर्ट ने इस मामले में पति की याचिका मंजूर करते हुए तलाक का आदेश दिया था। इस आदेश को चुनौती देते हुए पत्नी ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने कहा कि पत्नी ने पति को उसके माता-पिता से दूर करने का प्रयास किया। साथ ही उसकी शिकायत की वजह से पति को जेल जाना पड़ा। ऐसे में यह क्रूरता है और पति तलाक का हकदार है। इन टिप्पणियों के साथ ही हाई कोर्ट ने पत्नी की अपील को खारिज कर दिया।