गुप्त नवरात्र में विशिष्ट साधना

गुप्त नवरात्र हिंदू धर्म में उसी प्रकार मान्य हैं, जिस प्रकार शारदीय और चैत्र नवरात्र। आषाढ़ और माघ माह के नवरात्रों को गुप्त नवरात्र कह कर पुकारा जाता है। बहुत कम लोगों को ही इसके ज्ञान या छिपे हुए होने के कारण इसे गुप्त नवरात्र कहा जाता है। गुप्त नवरात्र मनाने और इनकी साधना का विधान देवी भागवत व अन्य धार्मिक ग्रंथों में मिलता है…

वर्ष में नवरात्र चार बार आते हैं माघ, चैत्र, आश्विन, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की प्रथम नौ तिथियां नवरात्र संज्ञक होती हैं, जो कि देवी पूजा हेतु विशेष मान्य होती हैं। शक्ति उपासना (दुर्गा) पर्व नव शक्तियों से युक्त होने को ही नवरात्र कहते हैं। गुप्त नवरात्र हिंदू धर्म में उसी प्रकार मान्य हैं, जिस प्रकार शारदीय और चैत्र नवरात्र। आषाढ़ और माघ माह के नवरात्रों को गुप्त नवरात्र कह कर पुकारा जाता है। बहुत कम लोगों को ही इसके ज्ञान या छिपे हुए होने के कारण इसे गुप्त नवरात्र कहा जाता है। गुप्त नवरात्र मनाने और इनकी साधना का विधान देवी भागवत व अन्य धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। श्रृंगी ऋषि ने गुप्त नवरात्रों के महत्त्व को बतलाते हुए कहा है कि जिस प्रकार वासंतिक नवरात्र में भगवान विष्णु की पूजा और शारदीय नवरात्र में देवी शक्ति की नौ देवियों की पूजा की प्रधानता रहती है, उसी प्रकार गुप्त नवरात्र दस महाविद्याओं के होते हैं।

यदि कोई इन महाविद्याओं के रूप में शक्ति की उपासना करे, तो जीवन धन-धान्य, राज्य सत्ता और ऐश्वर्य से भर जाता है। इन नवरात्रों में पूजा-उपासना से सभी प्रकार की विघ्न-बाधाएं दूर होकर साधक धन-धान्य, पुत्रादि से संपन्न होता है। माघ एवं आषाढ़ माह के गुप्त नवरात्र में अघोरी एवं तांत्रिक साधना करते हुए देवी की दस महाविद्याओं को ‘गुप्त’ रूप से प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। गुप्त नवरात्र में मां कालिका, तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और मां कमला के स्वरूप की आराधना की जाती है। तांत्रिक व अघोरी इन गुप्त नवरात्रों में मां पराम्बा की अद्र्धरात्रि में पूजा-उपासना करते हुए मंत्र साधना से सिद्धि प्राप्त करते हैं, जो कि गुप्त रखते हैं। दुर्गा पूजा घर के ईशान कोण में उत्तम होती है। गाय के घी का दीपक जलाना सर्वशुद्ध होता है। दीपक अखंड भी जलाया जा सकता है।

बशर्ते घर को बंद करके कहीं जाएं नहीं। इस वर्ष 22 जनवरी से माघ माह के गुप्त नवरात्र प्रारंभ होंगे तथा 30 जनवरी को समाप्त होंगे। गुप्त नवरात्रों का बड़ा ही महत्त्व बताया गया है। मानव के समस्त रोग-दोष व कष्टों के निवारण के लिए गुप्त नवरात्र से बढक़र कोई साधना काल नहीं हैं। श्री, वर्चस्व, आयु, आरोग्य और धन प्राप्ति के साथ ही शत्रु संहार के लिए गुप्त नवरात्र में अनेक प्रकार के अनुष्ठान व व्रत-उपवास के विधान शास्त्रों में मिलते हैं। इन अनुष्ठानों के प्रभाव से मानव को सहज ही सुख व अक्षय ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। दुर्गावरिवस्या नामक ग्रंथ में स्पष्ट लिखा है कि साल में दो बार आने वाले गुप्त नवरात्रों में भी माघ में पडऩे वाले गुप्त नवरात्र मानव को न केवल आध्यात्मिक बल ही प्रदान करते हैं, बल्कि इन दिनों में संयम नियम व श्रद्धा के साथ माता दुर्गा की उपासना करने वाले व्यक्ति को अनेक सुख व साम्राज्य भी प्राप्त होते हैं। शिवसंहिता के अनुसार ये नवरात्र भगवान शंकर और आदिशक्ति मां पार्वती की उपासना के लिए भी श्रेष्ठ हैं। गुप्त नवरात्रों को सफलतापूर्वक संपन्न करने से कई बाधाएं समाप्त हो जाती हैं।