15 हजार बेरोजगारों के लिए 187 पद नाकाफी, नौकरी की आस में बैठा बेरोजगार कला अध्यापक संघ खफा

स्टाफ रिपोर्टर— शिमला

हिमाचल प्रदेश बेरोजगार कला अध्यापक संघ ने प्रदेश सरकार से अपनी नाराजगी जताई है। संघ के अध्यक्ष नरेश ठाकुर ने कहा है कि वे सरकार द्वारा करवाए गए आट्र्स एंड क्राफ्ट का डिप्लोमा करके नौकरी की आस लगाकर बैठे हैं। एक तरफ सरकार अच्छी शिक्षा की गुणवत्ता देने की बात करती है, तो वहीं दूसरी तरफ सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों और बेरोजगारों का मज़ाक बनाती है। संघ ने कहा है कि 15 हजार बेरोजगार कला अध्यापकों ने कांग्रेस सरकार को तन-मन से परिवार सहित सरकार बनाने में सहयोग किया है। अब हम सरकार से नौकरी की आशा लेकर बैठे हैं।

संघ ने प्रदेश सरकार से गुहार लगाई है कि मिडिल स्कूल की पोस्ट पूर्व सरकार ने जो स्टैंडिंग पुल में डाली है, वो 850 प्लस के पार हैं, उनको बहाल किया जाए। हाल ही में शिक्षा विभाग ने नई पोस्ट भरने का प्रोपोजल तैयार करके सरकार को भेजा है, उसमें सिर्फ 287 पोस्टें भरने को कहा गया है। बाकी पद मिडिल स्कूलों की स्टैंडिंग पुल की बात कही गई है। पर ये 20 सालों से नौकरी की आस लगाकर बैठे हुए बेरोजगारों के साथ धोखा है। सरकार लाखों रुपए खर्च करके सरकारी स्कूलों में कला विषय का कंपीटिशन करवाती है। इसमें प्रदेश भर से सरकारी स्कूल अव्वल भी रहते हैं, तो फिर सरकार इस विषय को खत्म करने पर क्यों तुली है। बच्चे कला विषय को काफी पसंद करते हैं। दूसरी तरफ बच्चों को अपनी पर्सेंटज बढ़ाने में भी ये विषय मददगार साबित होता है।

सौ बच्चों की शर्त हटाएं

संघ का कहना है कि 100 बच्चे एक क्लास में करना बहुत ही मुश्किल है। ऐसा तो केंद्रीय विद्यालयों और प्राइवेट स्कूलों में भी नहीं है कि हर एक क्लास में 100 बच्चे हों। संघ ने सरकार से निवेदन किया कि वर्तमान में हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में 1600 प्लस पद खाली चले हुए हैं, जिसमें सबसे ज्यादा मिडिल स्कूलों में हैं। इसमें सबसे पहले 100 बच्चों की शर्त को तुरंत हटाया जाए और कम से कम 1000 के करीब पद भरे जाएं। प्रदेश भर में लगभग 15 हजार के करीब बेरोजगार कला अध्यापक हैं, जिनमें 285 पोस्टें कुछ भी नहीं है। पिछली सरकार ने 820 पोस्टें एक साथ भरने पर सहमति दी थी।